जैव विविधता पर निबंध – Essay on Biodiversity in Hindi
पृथ्वी पर पौधों और जीव जंतुओं की लगभग लाखों से ज्यादा प्रजातियों का विवरण मिलता है। पृथ्वी पर विभिन्न प्रजातियों के पौधों और जीव जंतुओं का होना जैव विविधता को दर्शाता है। जैव विविधता किसी खास स्थान को बताती है इसका मतलब यह है कि जैव विविधता अलग-अलग स्थानों पर अलग- अलग होती है। जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने के लिए जैव विविधता को बनाए रखना बहुत जरूरी होता है।
जैव विविधता का प्रयोग व महत्व
पौधों और अनेक प्रकार के जीव जंतु हमारे भोजन के मुख्य जरिये है खादय पौधों में हजारों प्रजातियां है इसमें से कई प्रजातियां हमारे प्रयोग में आने वाले भोजन की आपूर्ति होती है। भोजन की पूर्ति के लिए नए विधियों के द्वारा कई पौधें विकसित किये जा चुके है। वनस्पतियों से हमें अनेको औषधियों प्राप्त होती है। सिनकोन की छाल का उपयोंग ऐसी औषधी के रूप में होता है जो लोगो को मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता है। बहुत सी औषधिया हमारे जीव जतुंओं से प्राप्त होती है। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योकि औषधियों की जाच के लिए पशुओं पर निरिक्षण किया जाता है। हमें पेड पौधों से अनेक चीजे प्राप्त होती है पेड पौधों से हमें रेशा सूत कागज महकने वाली चीजें आदि प्राप्त होती है इन सभी चीजों का उपयोग औद्योगिक उत्पादों में इस्तमाल किया जाता है। जैव विविधता से प्रकृति का सतुलन बना रहता है अलग-अलग प्रकार के जीव जन्तु व पेड पौधें को जैव रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन कर देते है। और आहार और खाद्यय जाल को बनाते है। ऑक्सीजन और कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा में कमी लाने के लिए भी जैव विविधता जरूरी है।
हमारी पृथ्वी विभिन्न प्रजातियों के समावेश से बनी है चाहे वह वनस्पति विविधता हो चाहे जन्तु विविधता हो। यह सब विविधता मिलकर ही पृथ्वी को सुन्दर, सन्तुलित, जीवन यापन करने योग्य बनाती है। पृथ्वी पर विविध सकार को जीवन का संग्रह जैसे पेड पौधे, जानवर आदि जैव विविधता कहलाते है। जैव विविधता जितनी समृद्व होगी पर्यावरण उतना ही संतुलित और सामजस्यपूर्ण होगा। पृथ्वी पर अगर हम जीवन यापन कर पा रहे है। तो उसका मुख्य कारण जैव विविधता ही है क्योंकि मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपडाऔर मकान इन सब को पूरा करने हेतु मनुष्य पूरी तरह से इस परिस्थितिक तत्रं पर ही निर्भर है। आज मनुष्य ने अपने चन्द लालच के लिए पृथ्वी के पूरे संतुलन को बिगाड कर रख दिया है। अगर हम जैव विविधता को एक नजर में देखें तो कई प्रजातियां विलिप्त होती जा रही है इसका सबसे मुख्य कारण हमारी महात्वकाक्षी इच्छाऐं है जो हमारी प्रकृति को संकट में लाती जा रही है वर्तमान में मनुष्य का तकनीक की तरफ इतना ज्यादा झुकाव हो गया है कि वह इसके दुष्परिणाम को भी समझना चाहता। मानव के लिए यह सही समय है कि वह इस संकट को गंभीरता से ले और वातावरण को शुद्व बनाने का संकल्प ले। साफ सुथरा वातावरण ही समृद्व जैव विविधता को बढावा दे सकता है।