1- परिचय — कंप्यूटर आधुनिक संसार की सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी बन गई है। आज शायद ही ऐसा कोई कार्य बचा हो, जो कंप्यूटर से संभव न हो। कहा जाता है कि किसी भी मशीन की आदमी से तुलना नहीं हो सकती। पर अब एआई व रोबोटिक्स जैसे नई खोज ने कंप्यूटर को हम इंसानों से भी कहीं अधिक कुशल और विवेकशील भी बना दिया है।
2- परिभाषा — कंप्यूटर का शाब्दिक अर्थ है — ‘संगणक।’ इस शब्द की उत्पत्ति ‘कम्प्यूट’ से हुई, जिसका मतलब है गणना करना। इसके अलावा कंप्यूटर ‘डाटा’ यानी आंकड़ों पर कार्य करता है। इसलिये कहा जा सकता है कि — “कंप्यूटर एक ऐसी वैद्दुत-युक्ति है जो उसमें डाले गये आंकड़ों, यानी ‘इनपुट’ और निर्देशों को पढ़कर उनकी उच्च गति व परिशुद्धता से प्रक्रियांकन कर वांछित परिणाम अथवा निर्गत या ‘आउटपुट’ प्रदान करती है। यह तमाम उपकरणों को आपस समंजित या ‘असेम्बुल’ करके बनाई गई एक मशीन है। कंप्यूटर एक अंग्रेजी शब्द है, जिसकी अक्षरशः व्याख्या इस तरह है — ‘कॉमनली ऑपरेटिंग मशीन पर्टिकुलर्ली यूज़्ड इन टेक्नोलॉजी, ऐडुकेशन एण्ड रिसर्च।’ कंप्यूटर अब केवल गणना करने की मशीन ही नहीं रहा, बल्कि अब इसे ‘इन्फ़ॉर्मेशन-प्रासेसिंग’ की मशीन कहना कहीं अधिक समीचीन है।
3- संक्षिप्त इतिहास — कंप्यूटर का आविष्कार 1822 ई. में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्दालय में गणित के शिक्षक रहे ‘चार्ल्स बैबेज’ ने किया। शुरूआती दौर में इससे कुछ बीजगणितीय फलक, व्यंजन व बीस अंक तक की शुद्ध गणना संभव थी। आज के आधुनिक कंप्यूटर का आधार बैबेज द्वारा तैयार किया गया वह कंप्यूटर का प्रोटोटाईप मॉडल ही है। इसलिये ‘चार्ल्स बैबेज’ को कंप्यूटर तकनीकी का जनक माना जाता है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से कंप्यूटर के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ। और इनका आकार-प्रकार भी बदलता गया। इसलिये कंप्यूटर के इस ऐतिहासिक विकास को तकनीकी प्रगति के आधार पर कई कालखण्डों में विभाजित कर दिया गया, जिन्हें कंप्यूटर की पीढ़ियां कहते हैं। इस तरह अब तक कंप्यूटर की पांच पीढ़ियां वज़ूद में आ चुकी हैं।
4- कंप्यूटर के प्रमुख हिस्से — केंद्रीय संसाधन इकाई या सीपीयू — इसे कंप्यूटर का दिमाग़ भी कहते हैं। इसमें एक बॉक्स होता है जिसमें सीपीयू के अलावा अन्य परिपथ-बोर्ड भी होते हैं, जो मुख्य परिपथ-बोर्ड यानी ‘मदर-बोर्ड’ पर संयोजित रहते हैं।
निवेश अथवा इनपुट इकाई — यह कंप्यूटर में सूचनाओं,आंकड़ों व निर्देशों को पहुंचाने वाली इकाई है।
स्मृति — इसमें आंकड़ों को सुरक्षित रखा जाता है, जो यथासमय प्राप्त किया जा सकता है।
गणितीय व तार्किक इकाई — जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, कंप्यूटर का यह भाग ही बौद्धिक प्रक्रियाओं का संचालन करता है।
कंट्रोल अर्थात् नियंत्रण इकाई — यह कंप्यूटर हार्डवेयर संबंधी कार्यों का संचालन व नियंत्रण करता है।
निर्गत या ‘आउटपुट’ इकाई — कंप्यूटर द्वारा संसाधित आंकड़ों के परिणाम जिन यंत्रों द्वारा प्रदान किये जाते हैं, उसे निर्गत या ‘आउटपुट’ इकाई कहते हैं।
5- कंप्यूटर के प्रकार — कंप्यूटर को उनके उपयोग, तकनीकी व गति, कुशलता, कीमत, आकार आदि के आधार पर विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है। जैसे — तकनीक के आधार पर डिजिटल या अंकीय कंप्यूटर, एनालॉग या अनुरूप कंप्यूटर, हाईब्रिड या संकर कंप्यूटर, प्रकाशीय या ऑप्टिकल कंप्यूटर और एटॉमिक या परमाणुविक कंप्यूटर। इसी तरह आकार व क्षमता, व ‘पीढ़ियों’ के अनुसार भी कंप्यूटर के कई रूप हैं।
6- कंप्यूटर हार्डवेयर व सॉफ़्टवेयर — कंप्यूटर व उसमें लगे सारे उपकरणों को संयुक्त रूप से हार्डवेयर कहते हैं। और कंप्यूटर संबंधी क्रियाकलाप के संचालन के लिये उपलब्ध ‘प्रोग्राम’ सॉफ़्टवेयर कहलाता है।
7- उपसंहार — ज़ाहिर है, कंप्यूटर आज हमारे रोजाना के सामान्य कार्यों में कितनी अहमियत रखने लगा है। यह सूचनाओं या आंकड़ों को स्वचालित ढंग से, तीव्रता व पूरी परिशुद्धता के साथ संसाधित करता है। इसलिये इसके ज़रिये एक अकेला व्यक्ति भी बहुत सारे कार्यों र उच्च भंडारण क्षमता में हमारे उपयोग की तमाम सूचनायें संग्रहीत रहती हैं, जिनकी विश्वसनीयता अटल होती है। कंप्यूटर बहुआयामी यंत्र है। गेम खेलना हो कि ई-मेल करना, या फिर गाने सुनना, चित्र बनाना, पढ़ना-लिखना, या कोई ज़वाब खोजना सबकुछ कंप्यूटर पर संभव है। इसके अलावा कंप्यूटर पर काम करने से कागज की खपत कम होती है, जो पर्यावरण-संतुलन के लिहाज़ से काफ़ी मुफ़ीद है। आज कंप्यूटर का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, संचार, मनोरंजन, बैंकिंग, परिवहन, व्यापार या वैज्ञानिक-अनुसंधान हर जगह अनिवार्य तौर पर हो रहा है। ज़ाहिर है कंप्यूटर हमारे युग का एक महानतम आविष्कार है।