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अकबर बीरबल: अकबर का तोते की कहानी

एक समय की बात है। जब अकबर घुमने के लिए अपने राजदरबार से बाहर गए थे। एक बाजार में उन्होंने एक बहुत प्यारे बोलते तोते को देखा। जिसको उसके मालिक ने बहुत अच्छी-अच्छी बातें सिखाई थी। अकबर इस बात को देखकर बहुत खुश हो गए। अकबर ने उस तोते को खरीदने का फैसला कर लिया, और एक अच्छी कीमत पर तोते को उसके मालिक से खरीद लिया। तोते को खरीदने के बाद अकबर उसे अपने महल में ले आए, और तोते की अच्छे ढंग से खातिरदारी करने का फैसला किया।

अब तोते से यदि अकबर कोई भी बात पूछते तो तोता फट से जवाब दे देता। जिसे देख अकबर बहुत प्रश्न होता। जैसे-जैसे दिन गुजरते रहे तोता अकबर के लिए जान से भी अधिक प्यारा होने लगा। तोते के रहन-सहन के लिए उसने अपने दरबारियों से उसके लिए शाही व्यवस्था का भी प्रावधान करने को कहा। अकबर ने अपने दरबारियों से कहाँ की इस तोते की हमेशा देखभाल की जाए। साथ ही इसका ख़ास ख्याल रखा जाए, और तोते को कोई भी तकलीफ ना होने पाए।

और अकबर ने अपने अपने सेवकों से यह तक भी कहाँ की, ‘यह तोते किसी भी स्थिति में मरना नहीं चाहिए। अगर किसी व्यक्ति ने इसके मरने की खबर मुझे बताई, तो उसे सीधा फांसी पर लटकाया जाएगा। राजमहल में सभी तोते का बहुत ख्याल रखने लगे। अब सेवक हमेशा उसकी देखभाल में लगे रहते थे। एक दिन ऐसा आया की तोता मर गया।

अब राजमहल में सभी घबरा गए और सोचने लगे की, आखिर इस बात को अकबर को कौन बताएं। क्यूंकि अकबर ने यही कहा था की, ‘अगर तोते के मरने की खबर किसी व्यक्ति ने मुझे सुनाई तो उसे फांसी की सजा दी जाएगी। अब राजदरबार के सभी सेवक गहरी चिंता में पड़ गए, और उन्होंने ये फैलसा लिया की यह बात पहले राजा बीरबल को बताई जाए, वही कोई उपाय बताएँगे हमें। सेवकों ने राजा बीरबल को तोते की खबर सुना दी। और राजा अकबर के फैसले की भी बात बता दी की तोते की खबर सुनाने पर वह उस व्यक्ति को फांसी दे देंगे। सेवकों की बात सुन राजा बीरबल अकबर यह संदेसा देने के लिए तैयार हो गए और महल में वो अकबर को यह खबर देने चल पड़े।

महल पहुंचकर बीरबल ने कहा , ‘महाराज बहुत दु:खद समाचार लाया हूँ में आपके लिए। ‘अकबर ने कहाँ ‘बताओ बीरबल क्या हुआ आखिर कौनसी दुखद खबर आप हमें सुनाने आए हो?’ बीरबल ने मुंह लटकाते हुए कहा, ‘महाराज क्या बताऊ, अब आपका प्रिय तोता, ना तो कुछ खा रहा है , न तो कुछ पी रहा है और ना कुछ बोल रहा है सिर्फ यही नहीं बल्कि वह अपनों आँखें भी नहीं खोल रहा और न कोई हरकत कर रहा है….।’ अकबर ने गुस्से में में कहाँ, ‘…. ना ही का मतलब क्या? साफ़-साफ़ बोलो की वो तोता मर गया है।’ बीरबर ने कहा, ‘हां महाराज, लेकिन ये बात मैंने नहीं आपने खुद कही है। इसलिए मेरी जान बक्श दीजिए। बीरबल के इस जवाब के बाद अकबर भी कुछ न बोल सके। इस तरह बीरबल ने अपनी सुझबुझ और होशियारी के साथ अपनी और महल के सेवकों की जान बचा ली।

कहानी से सिख:
कठिन परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए, बल्कि समझदारी और सुझबुझ से काम लेना चाहिए। क्यूंकि दिमाग का सही उपयोग करके हर मुश्किल से को परिस्थिति के समाधान किया जा सकता है।

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