भारत देश में वर्ष 1973 में बाघों के विषय पर एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की जिसका नाम प्रोजेक्ट-टाइगर जिसके बाद वर्ष 1973 में ही ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ को भारत का राष्ट्रीय पशु बनाया गया. एक सर्वे के अनुसार वर्ष 2018 में बाघों की कुल संख्या 2967 हो गई थी जिसमे मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या सबसे ज्यादा संख्या मानी गई यानी की भारत में 526 इसके बाद कर्नाटक में 524 बाघ.
GK about Royal Bengal Tiger The National Animal of India
भारत में बाघों की घटती आबादी को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई थी. इसके कार्क्रम के बाद भारत में बाघों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी.
वर्ष 2006 में भारत में बाघों की कुल संख्या सिर्फ 1411 थी. जोकि 2018 में बढ़कर 2967 हो गई थी, इसी वर्ष मध्य प्रदेश बाघों की संख्या में सबसे शीर्ष पर रहा जहां कुल बाघों की संख्या 526 थी वही कर्नाटक में यह 524 और उत्तराखंड 442 बाघों के साथ तीसरे स्थान पर रहा.
टाइगर में (पैंथेरा टाइग्रिस) भारत का राष्ट्रीय पशु है जिसकी चमड़ी गहरी धारियों के साथ पीले रंग की होती है. 1972 तक, शेर भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता था। बाद में इसे टाइगर ने बदल दिया, क्यूंकि बाघ को सहनशक्ति, शक्ति, चपलता और जबरदस्त शक्ति के संयोजन माना जाता है और इसके कारन इसे भारत का राष्ट्रीय पशु बना दिया गया.
Important facts about Royal Bengal Tiger in Hindi
बाघ को जंगल का भगवान कहा जाता है और भारत के वन्यजीव धन को यह प्रदर्शित करता है। बाघ पैंथर टाइग्रिस की प्रजाति से संबंधित पशु है। बंगाल टाइगर को अप्रैल 1973 में भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था जिसके चलते भारत में बाघों को बचाने और इनकी आबादी बढाने के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई। इससे पहले, शेर भारत का राष्ट्रीय पशु था। 2010 से, इसे IUCN द्वारा लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत भी किया गया था।
बाघों की मुख्य आठ उप-प्रजातियां मानी जाती हैं जैसे कि रॉयल बंगाल, इंडो-चाइनीज, सुमात्राण, अमूर या साइबेरियन, साउथ चाइना, कैस्पियन, जावा और बाली, अंतिम तीन विलुप्त होने की कगार पर है| नर बंगाल टाइगर की पूंछ की सहित औसतन लंबाई 270 से 310 सेमी (110 से 120 इंच) होती है, जबकि मादा बंगाल टाइगर की पूंछ औसतन 240 से 265 सेमी (94 से 104 इंच) मापती गई हैं.
नर बंगाल टाइगर का वजन औसतन 180 से 258 किलोग्राम (397 से 569 पाउंड) होता है, जबकि मादा बंगाल टाइगर का वजन 100 से 160 किलोग्राम (220 से 350 पाउंड) तक होता है। घोड़ों की तरह बाघों की भी बहुत मजबूत पैर होते हैं।
बाघों में यह भी देखा गया है कि लगभग आधे बाघ वयस्क होने तक जीवित नहीं रहते हैं। और एक नवजात बाघ शावक अपने जन्म के पहले सप्ताह तक पूरी तरह से अंधा रहता है। एक वयस्क बाघ लगभग छह मीटर से भी अधिक की छलांग लगा सकता है और पांच मीटर तक उछल लगा सकता है। बाघ के पंजे का एक झटका किसी भालू की खोपड़ी को तोड़ने और यहां तक कि उसकी रीढ़ को तोड़ने के लिए पर्याप्त मजबूत होता है।
प्रत्येक बाघ के शरीर की चमड़ी पर 100 से अधिक धारियां होती हैं, लेकिन दो बाघों में समान धारीदार पैटर्न नहीं होता है। भारत और बांग्लादेश में सुंदरबन में बंगाल के बाघ दुनिया में एकमात्र बाघ हैं जो मैंग्रोव जंगलों में रह रहे हैं। बंगाल के बाघों की आबादी सुंदरबन में लगभग 70 बाघ है।
हमे उम्मीद है की आने वाले कुछ समय में बाघों की संख्या में और वृद्धि आएगी और प्रोजेक्ट टाइगर एक सफल ऑपरेशन रहेगा बाघों की संख्या बढाने के लिए.