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What is earthquake in Hindi – भूकंप क्या हैं, इसके कारण एवं इससे बचाव

प्राकृतिक आपदा पर किसी भी मनुष्य कितना भी जोर लगा ले उसे नहीं रोक सकता आपदाएं बिना कोई सन्देश दिए आती हैं और चंद लम्हों में सब कुछ तहस नहस कर देती हैं जिससे की देश के जन-धन , पशु पक्षी आदि इसमें तबाह हो जाते हैं.

प्रिये पाठको आपने अक्सर टीवी चेनल इन्टरनेट भूकंप से सम्बंधित न्यूज़ समाचार जुरूर देखी होगी. और साल 2015 में आये नेपाल में भूकंप से नेपाल को भारी नुक्सान हुआ था जिसमे बहुत से लोगों एवं उनकी संपत्ति हो हानि पंहुची थी.

भूकंप की यदि बाद करें तो यह एक बहुत भयानक आपदा हैं मनुष्य और प्राकृतिक के लिए क्यूंकि इसे कुछ ही क्षण लगते हैं इन सबको तबाह करने में आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आप लोगों को भूकंप की जानकारी संक्षिप्त में देंगे जिससे आप जानोगे की आखिर भूकंप है क्या इससे अपनी सुरक्षा कैसे करें.

पृथ्वी की निचली सतह में यदि अचानक से कोई कंपन्न होता हैं तो उस समय पृथ्वी की सतह के भागो की परतों में गैसों के असंतुलन के कारण जो वेग उत्पन्न होती है जिसके कारन उनके माध्यम से एक संपीडन उत्पन्न होता है जिससे धरातल के ऊपर की सतहों पर हलचल शुरू होने लगती हैं इसकी तीव्रता की गति कारण पृथ्वी का उपरी भाग फटने लगता हैं जिसके कारण पृथ्वी की उपरी सतह धसने लगती हैं और भूकंप की अधिक गति के कारण पृथ्वी पर बने घर, मकान इमारतें आदि अपना संतुलन खो देती हैं और गिर जाती हैं समुद्रो एवं नदियों में तेज उफान के कारण सुनामी तथा भूस्खलन जैसी आपदाएं भी आ जाती हैं.

भूकंप को मापने के लिए एक वैज्ञानिक यंत्र सिसमोमीटर का प्रयोग किया जाता हैं जिसे भूकंप की गति का पता आसानी से लगाया जा सकता हैं इसकी गाड़ना रिएक्टर के द्वारा की जाती हैं रिएक्टर स्केल पर यदि गति दो-तीन है तो यह एक साधारण माना जाता हैं यदि इसकी गति सात या अधिक मापी जाएँ तो यह एक बहुत खतरनाक आपदा कहलाई जा सकती हैं क्यूंकि इतनी तेज गति से आयें भूकम्प में बहुत कुछ तबाह हो सकता हैं.

धरातल की निचली सतह में यदि तरंगे उत्पन्न होती हैं तो यह भूकंप का मुख्य कारण माना जाता हैं. इन तरंगों के तीन प्रकार हैं पहला प्राथमिक तरंग (Primary or P waves) जिसमें भूकंप के कारण कोई नुक्सान होने की अनुमान नहीं होगा इसकी कपंन उत्पन्न करने गति रिएक्टर पर लगभग शून्य से तीन होती हैं. यदि दूसरा माध्यमिक तरंग (Secondary, S or Shear Waves) की बात सकरे तो इसमें मनुष्य अपने होशियारी से इसका मुकाबला कर सकता हैं इसकी गति रिएक्टर पर लगभाग चार से सात तक होती हैं जिसमें धीरे धीरे घरों का सामान डगमगाने (हिलने) लगता हैं जैसे, पंखा, बर्तन, पलंग, फर्नीचर, वाहन दीवारों में दरारे आदि अब बात करें तीसरा सतह तरंग (L or Surface Waves) तो यह बेहद खतरनाक आपदा हैं जिसके कारण देश के लोगो को भारी क्षति पंहुचती हैं और इसमें कुछ बचने की उम्मीद भी नहीं होती इसकी तीव्रता रिएक्टर कर आठ, नौ और दस तक होती हैं जिसमें देश की बढ़ी-बड़ी इमारतें , पुल तक गिर जाते हैं और समुद्र एवं नदियाँ सुनामी , बाढ़ का रूप धारण कर सब कुछ बर्बाद कर देते हैं.

भूकंप से यदि अपनी सुरक्षा की बात करें तो अक्सर स्कूलों, दफ्तरों कोलेजो आदि में हम पढ़ते एवं सुनते हैं की भूकंप के आते ही यदि हम अपने घरों, दफ्तरों ऊँची इमारतों से बहार निकल किसी खुली जगह या खुले मैदान में खड़े हो जाएँ तो हम सुरक्षित हैं इसके अलावा घरों के में लगी गैस सिलेंडर बिजली को बिलकुल बंद कर मैं स्विच को बंद कर दें. भूकंप के समय यदि आप वाहन चला रहे या फिर किसी वाहन में सवार हैं है तो तुरंत वाहन रोक दे और उसमें से वाहर निकलें और खुले सुरक्षित स्थान की और जाने की कोशिश करें किसी भी नदी नाले झील या खाई की और न जाये और ना ही किसी पुराने और ऊँचे मकानों के निचे खड़े हो.

आज की डिजिटल दौर में भूकंप के आने से पहले ही आपको वैज्ञानिको द्वारा चेतावनी भी दे दी जाती हैं जिससे की आप प्राक्रतिक आपदाओं के संकेतों का पता लगा सकते हो.

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