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कुलोत्तुंग प्रथम के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

कुलोत्तुंग प्रथम चोल वंश का महान शासक था. कुलोत्तुंग प्रथम पूर्वी चालुक्य नरेश राजराज का पुत्र था, किन्तु उसमें चोल रक्त का भी मिश्रण था. उसकी माता राजेन्द्र चोल की कन्या थी. उसका स्वयं का विवाह कोप्पम युद्ध के विजेता राजेन्द्र द्वितीय की पुत्री से हुआ था.

Important facts about of Kulottunga-I in Hindi

  1. कुलोत्तुंग प्रथम ने अपने विद्रोहियों को पराजित करके अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली थी. वह अपने समय का एक शक्तिशाली शासक सिद्ध हुआ.
  2. उसने पश्चिमी चालुक्य नरेश विक्रमादित्य षष्ठ नंगिली में पराजित कर गड:गवाडी पर अधिकार जमा लिया.
  3. इसी बीच (1072-73 ई.) त्रिपुरी के हैहय शासक यश कर्ण ने उसके वेंगी राज्य पर आक्रमण किया, किन्तु इसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया, परन्तु सिंहल के राजा विजयबाहु ने कुलोत्तुंग के विरुद्ध अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी, दोनों के बीच संधि हो गई तथा कुलोत्तुंग ने अपनी एक पुत्री का विवाह सिंहल राजकुमार के साथ कर दिया.
  4. कुलोत्तुंग को पंड्या तथा केरल राजाओं से भी विद्रोहों का सामना करना पड़ा, वह एक शक्तिशाली सेना के साथ दक्षिणी अभियान पर गया जहाँ कई बार युद्दों में उसने पांड्या और केरल के राजकुमारों को परास्त कर उन्हें अपनी अधीनता में रहने के लिए बाध्य किया, परन्तु इन प्रदेश ओका प्रशासन उसने स्थानीय शासकों के हाथो में ही छोड़ दिया.
  5. 1077 ई. में 72 सौदागरों का एक चोल दूत मंडल चीन गया. 1088 ई. के सुमात्रा से प्राप्त एक तमिल लेख से पता चलता है की श्रेविजय में तमिल सौदागरों की एक श्रेणी निवास करती थी.
  6. वेंगी के विजयादित्य सप्तम की मृत्यु के बाद कुलोत्तुंग ने अपने पुत्रों को वहां वायसराय के रूप में शासन करने को भेजा.
  7. 1110 ई. के लगभग कलिंग राज्य में विद्रोह हुआ. कुलोत्तुंग ने अपने सेनापति करुणाकर तोंडमान के नेतृत्व में एक सेना वहां भेजी.
  8. कलिंग नरेश अनंत्वर्मन पराजित हुआ तथा उसने भागकर जान बचाई. चोल सेना अपने साथ लूट का अतुल धन लेकर लौटी.
  9. 1015 ई. तक करुणाकर प्रथम अपने साम्राज्य को सुरक्षित बनाए रखने में समर्थ रहा. केवल सिंहल का राज्य ही उसके साम्राज्य के बाहर था. परन्तु उसके शासनकाल के अंत में मैसूर एवं वेंगी में विद्रोह उठ खड़े हुए.
  10. 1018 ई. में विक्रमादित्य षष्ठ ने वेंगी पर अधिकार कर लिया तथा इसी समय होयसलों ने मैसूर से चोल सेना को बाहर खदेड़ कर वहां अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी. इस प्रकार करुणाकर प्रथम के शासन काल में तमिल प्रदेश तथा कुछ तेलगु क्षेत्र ही बच पाए.
  11. चोल लेखों में करुणाकर प्रथम को शुड’गम तविर्त (करो को हटाने वाला) कहा गया है.
  12. 1120 ई. में उसकी मृत्यु हो गई.
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