हमने यहाँ पर 15 जनवरी को मनाये जाने वाले थल सेना दिवस (Indian Army Day) के बारे में जानकारी प्रकाशित की है जो की अपने सामान्य ज्ञान और सरकारी नौकरी की तैयारी के सहायक होगी.
थल सेना दिवस – Indian Army Day
किसी भी देश की सुरक्षा में उस देश की सेना का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत देश की सेनाओं को तीन हिस्सों में बांटा गया है – जल सेना, थल सेना तथा वायु सेना। जिसमे थल सेना का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारतीय थल सेना पिछले 70 सालों से 15 जनवरी के दिन आर्मी डे यानी थल सेना दिवस मनाती है।
क्या आपको मालूम है कि इस दिन ही क्यों आर्मी डे मनाया जाता है। दरअसल इसके पीछे दो बातें हैं – पहली बात यह है कि 15 जनवरी 1949 के दिन से भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हुई थी। दूसरी बात, इसी दिन जनरल के. एम. करिअप्पा को भारतीय सेना का कमांडर इन चीफ बनाया गया था। इस तरह लेफ्टिनेंट करिअप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। इसके पहले भारतीय सेना के प्रमुख ब्रिटिश मूल के फ्रांसिस बूचर थे। तब भारतीय सेना में करीब 2 लाख सैनिक ही हुआ करते थे। अब 13 लाख भारतीय सैनिक थल सेना में अलग-अलग पदों पर नियुक्त हैं।
सेना अपना जन्म दिवस कैसे मनाती है?
दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। शहीदों की विधवाओं को सेना मेडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। इस दौरान सेना अपने दमखम का प्रदर्शन करती है। दिल्ली में परेड आयोजित होती है। थल सेना दिवस पर शाम को सेना प्रमुख चाय पार्टी आयोजित करते हैं, जिसमें तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर, भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल होते हैं।
भारतीय थल सेना की कैसे शुरुआत हुई
भारतीय थल सेना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ी के रूप में हुई थी। बाद में यह ब्रिटिश भारतीय सेना बनी और फिर मौजूदा भारतीय थल सेना। इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया।
भारतीय थल सेना द्वारा लड़े गए कुछ युद्ध
भारतीय सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार और चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। संयुक्त राष्ट्र मिशन में हमेशा शामिल भारतीय सेना की एक टुकड़ी हमेशा संयुक्त राष्ट्र की सहायता के लिए समर्पित रहती है। इसके तहत भारतीय सेना अंगोला, कंबोडिया, साइप्रस, कांगो, साल्वाडोर, नामीबिया, लेबनान, लाइवेरिया, मोजाम्बिक, रवांडा, सोमालिया, श्रीलंका और वियतनाम जा चुकी है। भारतीय सेना ने कोरिया में हुई लड़ाई के दौरान घायलों और बीमारों को सुरक्षित लाने के लिए भी अपनी अर्द्ध – सैनिकों की इकाई प्रदान की थी।
भौगोलिक तौर पर भारतीय सेना 7 कमांडो में विभाजित है। जिनके मुख्यालय देश के अलग-अलग हिस्सों में हैं यह दुनिया की दूसरी बड़ी स्थाई सेना है। साथ ही दुनिया की सबसे आधुनिक सेनाओं में एक भी है सेना की 6 सक्रिय कमान और एक ट्रेनिंग कमांड है। प्रत्येक कमान का नेतृत्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ करता है। जो लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता है। प्रत्येक कमांड नई दिल्ली में स्थित सेना मुख्यालय से सीधे जुड़ा हुआ है। ब्रिटिश सेना से प्रभावित भारतीय सेना की संरचना वर्दी और परंपराओं का बड़ा हिस्सा ब्रिटेन से ही लिया गया है, जो 1947 से पहले ब्रिटिश भारतीय सेना में जारी था। भारतीय सेना दुनिया में सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान को नियंत्रित करती है। भारतीय सेना दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ियों को कंट्रोल करने में माहिर है। इसका उदाहरण है – सियाचिन ग्लेशियर जो सी लेवल से 5000 मीटर ऊपर है। दुनिया में भारत के पास सबसे बड़ी ‘स्वैक्षिक’ सेना – सभी सेवारत और रिजर्व कर्मियों ने वास्तव में सेवा को चुना है। भारतीय संविधान में जबरन भर्ती का प्रावधान है। लेकिन आज तक इसका प्रयोग नहीं किया गया है। भारतीय सेना पहाड़ी लड़ाईओं में माहिर है। भारतीय सेना का हाई औल्टीट्यूड स्कूल दुनिया के सबसे अच्छे ट्रेनिंग संस्थान में गिना जाता है। अफ़ग़ानिस्तान भेजे जाने से पहले अमेरिकी स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग भी इसी इंस्टिट्यूट में हुई थी। साथ ही यूके और रसिया से भी जवान यहाँ ट्रेनिंग के लिए आते हैं। यह इंस्टिट्यूट पहाड़ी इलाकों और ऊंचाई पर लड़ाई करने की ट्रेनिंग देती है। केरल में एझिमाला नौसेना अकादमी एशिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी अकादमी है। भारतीय सेना में घोड़ों की कैवलरी रेजीमेंट भी है। दुनिया में यह आखरी तीन ऐसे रेजीमेंटों में से एक है।
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