Samanya Gyan

Indo-Nepal Treaty of Peace and Friendship 1950

भारत-नेपाल शान्ति और मित्रत संधि, 1950

ब्रिटिश काल में नेपाल आंतरिक मामलों में पूरी तरह स्वतंत्र था लेकिन उसकी विदेश निति में बिर्टिश सरकार का प्रभाव था. जब भारत स्वतंत्र हुआ तो दोनों देशो ने अपने विशेष सम्बन्धो को को रेखांकित करने के लिए दोनों देशो ने 1950 में भारत नेपाल शान्त्री और मित्रता संधि, पर हस्ताक्षर किए थे. भारत और नेपाल के बीच इस संधि द्वारा ही ‘विशेष सम्बन्धो’ की स्थापना की गई हैं, यदि संधि दोनों देशो के विशेष सम्बन्धो का आधार हैं.

भारत तथा नेपाल एकमात्र ऐसे पडोसी देश हैं, जिनके बीच उक्त संधि द्वारा खुली सीमा का सिधांत लागू किया गया हैं इसका तात्पर्य यह हैं की भारत और नेपाल के बीच नागरिकों के आवगमन में कोई रोक टोक नहीं होगी. अर्थात दोनों देशो के नागरिकों के लिए एक दुसरे के यहाँ जाने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होगी.

भारत-नेपाल के बीच खुली सीमा 1850 किलोमीटर लम्बी हैं तथा यह भारत के पांच राज्यों सिक्किम, पश्चिम बंगाल , बिहार उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड को छूती है खुली सीमा का तश्कारों, आतंकवादियों तथा अन्य असामाजिक तत्वों द्वारा दुरूपयोग तथा अन्य असामाजिक तत्वों द्वारा दुरूपयोग भी किया जा रहा हैं फिर भी खुली सीमा दोनों के विशेष संबंधों को रेखांकित करनी हैं इस संधि के द्वारा ही नेपाल के नागरिकों को भारत में भारतीय नागरिकों के सामान कई सुविधाएं व् अधिकार प्राप्त हैं दोनों देशो के नागरिकों को वीजा के बिना एक दुसरे के देशो में आने जाने की सुविधा प्राप्त हैं इसी संधि में ही यह भी कहा गया हैं की दोनों देश के नागरिको को एक दुसरे के यहाँ व्यवसाय करने के लिए वर्क परमिट की आवश्यकता नहीं होगी. भारत की सुरक्षा चिंताओं के सम्बन्ध के संधि में भी यह व्यवश्ता की गई हैं की दोनों में से कोई देश एक दुसरे के विरुद्ध किसी बाह्रा देश द्वारा सुरक्षा के खतरे की अनुमति नहीं देंगे तथा ऐसे किसी खतरे के विषय में एक दुसरे को अवगत कराएंगे.

वर्तमान में नेपाल के कतिपय राजनितिक दलों द्वारा इस आधार पर इस संधि का विरोध किया जा रहा हैं की यह व्यवस्था नेपाल की स्वतंत्र विदेश निति व् संप्रभुता के विरुद्ध हैं. भारत इस संधि में संशोधन हेतु तैयार हैं. भारत इस संधि में संशोधन हेतु तैयार हैं लेकिन नेपाल की और से कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया हैं नेपाल को इस बात का भी खतरा सता हैं की इस संधि के समाप्त होते ही उसे भारत द्वारा प्राप्त प्रदत्त विशेष सुविधाएँ भी समाप्त हो जाएगी.

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