जन्माष्टमी पर निबंध – Essay on Janmashtami in Hindi
जन्माष्टमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो श्री कृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता है।यह त्यौहार भारत के अलावा नेपाल तथा जहां भारतीय लोग निवास करते हैं वहां मनाया जाता है। धरती पर अत्याचार व पाप का सर्वनाश करने तथा लोगों को कंस के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। श्री कृष्ण नेभाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार के रूप में जन्म लिया।कंस का अत्याचार बढ़ जाने के कारण आकाशवाणी हुई थी कि देवकी और वसुदेव का आठवां पुत्र ही कंस की मृत्यु का कारण बनेगा। आकाशवाणी के बाद ही कंस ने देवकी वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया और एक के बाद एक कर उनकी संतान को मारता रहा किंतु जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब भगवान विष्णु ने वसुदेव को अपनी माया से मोहित कर आदेश दिया कि इस बालक को गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा के पास पहुंचा दो और उनकी संतान जो एक पुत्री है उसने भी अभी जन्म लिया है उसे अपने साथ वापस ले आओ ताकि कंस को यह भ्रम बना रहे कि देवकी की आठवीं संतान एक कन्या है तो वहीं कारण है कि श्री कृष्ण को जन्म माता देवकी ने दिया लेकिन उनका पालन पोषण मैया यशोदा और नंद बाबा ने किया। श्री कृष्ण ने अपने जन्म से ही लीलाएं आरंभ कर दी थी। पहली लीला तो मैं आपको बता ही चुका हूं कि कैसे कारावास में जन्म लेकर वह गोकुल में पहुंच गए।
श्री कृष्ण जी ने अपने जीवन काल में कई लीलाएं की हैं जिनमें से कुछ लीलाएं इस प्रकार से हैं
1. माखन चुराना, मटकी फोड़ना।
2. कृष्ण को मारने के लिए कंस द्वारा भेजी गई पूतना का वध।
3. जब कालिया नाग ने यमुना नदी का पानी विषैला कर दिया तब कालिया नाग से युद्ध कर उसे हराकर उसके फन पर नटराज के रूप में नृत्य किया और उसे यमुना से दूर भेज दिया।
4. इंद्र द्वारा गोकुल पर मूसलाधार बारिश करने से जब पूरा गोकुल जलमग्न होने लगा तब श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुल वासियों की रक्षा की। यह सब देखकर इंद्र को अपनी भूल का आभास हुआ और उन्होंने श्री कृष्ण से क्षमा मांगी।
5. कंस वध।
6. द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी साड़ी का लंबा होता जाना।
7. महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाकर अर्जुन को जीवन और मृत्यु के रहस्य का बोध करवाना।
श्री कृष्ण के भक्त उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारते हैं जैसे कान्हा, कन्हैया, मुरलीधर,वसुदेव, गोविंद, गोपाल, मधुसूदन, नारायण। इस प्रकार 108 नाम है और प्रत्येक नाम का अपना एक अर्थ है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को सजाया जाता है।जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। इस दिन सभी रात 12:00 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं। लोग श्री कृष्ण के लिए सुंदर कपड़े खरीदते हैं और उन्हें सजाते हैं। इस दिन लड्डू गोपाल को झूला झुलाया जाता है। रात 12:00 बजे श्री कृष्ण की आरती की जाती है और प्रसाद में माखन मिश्री बांटा जाता है। श्री कृष्ण को बचपन से ही दही और मक्खन बहुत प्रिय था। वह अपने दोस्तों के साथ टोली बनाकर गोपियों के घर से मक्खन चुराया करते थे। उनकी इस शरारत से बचने के लिए गोपियां मक्खन को ऊंची जगह पर लटका देतीथीं। श्रीकृष्ण और उनके सखा एक दूसरे के ऊपर चढ़कर मटकी फोड़ दिया करते थे। उनकी इन्हीं शरारत भरी नटखट बाल लीलाओं को याद करते हुए दहीहंडी का उत्सव मनाया जाता है। श्री कृष्ण का जन्म “जन्माष्टमी” बहुत ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है।भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला हमें कुछ ना कुछ सीख देती है। हमें उनसे सीख लेते हुए अपना कर्म करना चाहिए। यह पर्व हमें धर्म की राह पर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।