एक समय की बात है, जब मुल्ला नसरुद्दीन पर यह मुकदमा चला की, वह राज्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते है| मुल्ला नसरुद्दीन पर राज्य में यह आरोप था, की वह राज्य में गाँव-गाँव जाकर घर्मगुरुओ, विद्दानी, सल्हाकारों व् राजाओं के बारे में अफवाह फैला रहे है की यह सभी अज्ञानी है और इन सभी में ज्ञान की कमी है| इसके चलते दरबार मे मुल्ला नसरुद्दीन को करवाई के लिए बुलाया गया।
राजा ने दरबार में मुल्ला नसरुद्दीन से पुछा, अब तुम अपनी सफाई दरबार में मौजूद सभी व्यक्तियों के समीप रखो, राजा के इतने कहने पर मुल्ला नसरुद्दीन ने कागज़, कलम की मांग की, राजा ने उसे कागज-कलम मंगवा लिए| अब मुल्ला नसरुद्दीन ने राजा ने कहाँ यहाँ बैठे सभी बुद्धिमान में से किन्ही सात बुद्धिमान को एक-एक कागज और कलम दे दीजिए| “राजा ने वैसा ही किया और सात बुद्धिमानों को एक-एक कागज कलम दे दिए| फिर मुल्ला नसरुद्दीन ने उन सभी से एक सवाल किया और उसका उत्तर उस कागज में लिखने के लिए कहा.
मुल्ला नसरुद्दीन ने सवाल पुछा था की “रोटी क्या है?”
थोड़े समय बाद सभी ने इस प्रश्न का उत्तर अपने कागज में लिख लिया| उसके बाद सभी सात बुद्धिमानी व्यक्ति एक-एक करने अपना जवाब राजा और दरबार में उपस्थित व्यक्तियों के सामने पढ़कर सुनाने लगे।
पहले बुद्धिमानी व्यक्ति ने लिखा – रोटी एक तरह का भोजन है।
दुसरे बुद्धिमानी व्यक्ति ने लिखा – रोटी, आटे और पानी का मिश्रण है।
तीसरे बुद्धिमानी व्यक्ति ने लिखा – यह ईश्वर का वरदान है।
चौथे बुद्धिमानी व्यक्ति ने लिखा – रोटी पके हुए आटे का लौंडा है|
पांचवे बुद्धिमानी व्यक्ति ने लिखा – इस प्रश्न का जवाब आपपर निर्भर करता है की इसका क्या मतलब है।
छठवें बुद्धिमानी व्यक्ति ने लिखा – रोटी एक पोष्टिक तत्व और समृद्ध आहार है।
आखिर में सातवें बुद्धिमानी व्यक्ति ने लिखा – रोटी के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
सभी बुद्धिमानों का जवाब मिलने के बात मुल्ला ने राजा से कहाँ की, “अगर रोटी के विषय में इन सभी का मत एकसमान नहीं है, तो यह किसी विषय पर निर्णय देने के लिए एकमत कैसे हो सकते है? और यह सभी लोग यह कैसे बोल सकते है की में लोगो में भ्रम प्रकट कर रहा हु|”
और कहा की “महाराज क्या आप किसी महत्वपूर्ण विषय में इनका परामर्श और निर्णय देने का अधिकार इन लोगो को दे सकते है, जो रोटी तो खाते है परन्तु इस विषय में एकमत नहीं है|” और आगे कहाँ की, “और जो व्यक्ति किसी एक विषय पर एक जैसा निर्णय नहीं ले सकते वह कैसे कह सकते है की में राज्य की जनता में भ्रम और झूंठ फैला रहा हूँ |”
कहानी से सीख:
हमें इस कहानी से यह सीख मिली की’ किसी विषय पर निर्णय लेने से पहली हमें उसकी पूरी जानकारी सही से होनी चाहिए।
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