नीले सियार की कहानी बच्चो के लिए

एक समय की बात है, जंगल में बहुत बारिश व् तेज हवाएं चल रही थी। उस समय एक सियार उस बारिश में भीग रहा था। बारिश से बचने के लिए वो सियार एक पेड़ की निचे खड़ा हो गया तभी उसके सिर पर पेड़ की एक डाली गिर गई। सियार के सिर पर गहरी चोट लगी और डर कर वह अपनी मांद की और तेजी से भागा। सिर पर लगी चोट के कारण सियार बीमार पड़ गया और शिकार ना मिलने के कारण प्रतिदिन कमजोर होने लगा।

एक बार सियार को उसकी मांद के सामने से किसी हिरन को जाते दिखा हिरन का शिकार करने के कारण सियार उसके पीछे भागा। हिरन का पीछा करते-करते सियार बहुत दूर तक दौड़ा परन्तु हिरन को नहीं पकड़ सका और वह अधिक थक गया। सियार पुरे दिन भूखा जंगल में भटकता रहा परन्तु उसे किसी शिकार के अलावा कोई मरा हुआ जानवर भी नहीं मिला जिसे वो खाकर अपनी भूख शांत कर सके। भूख से परेशान होकर और जंगल में शिकार न मिलने के कारण सियार गाँव की और जाने की ठानी। सियार ने सोचा की गाँव में उसे कोई बकरी, बछड़ा या मुर्गी का बच्चा मिल जाए तो वह अपनी किसी तरह रात काट सकें।

गाँव में पहुँच कर सियार शिकार को खोजने लगा, लेकिन उसकी नजर गाँव के कुत्तों के झुंड पर पड़ी, जो सियार की और घुर्राते हुए आ रहे थे। सियार डर गया और उसकी समझ में कुछ नहीं आया तो वह धोबिओं के मोहल्लें की और भागने लगा। गाँव के कुत्ते लगातार भोंक रहे थे और सियार का पीछा कर रहे थे। सियार कुत्तों से बचने के लिए छुपने की जगह खोजने लगा तभी उसकी नजर धोबी के एक ड्रम की और पड़ी जिसमें नील घुला हुआ था। उस ड्रम में सियार जाकर छिप गया। सियार ना मिलने के कारण कुत्ते वापस लौट गए। बेचारा सियार पूरी रात उस नील के ड्रम में छुपकर अपनी सुरक्षा करता रहा। सुबह जल्दी होते है जब सियार ड्रम से बाहर निकला तो उसका शारीर को नील के कारण पूरा नीला हो गया था। अपने शारीर को नीला देख सियार के दिमाग में एक विकल्प आया और वह तेजी से जंगल की और वापस लौटा।

जंगल में आकर उसने सभी जानवरों के सामने ऐलान करते हुए कहा वह ईश्वर का सन्देश लेकर आया है। सियार ने सभी जानवरों से पुछा की “क्या तुम सभी में से किसी ने नीले रंग का जानवर देखा है? मुझे देखो , मुझे ये रंग भगवान ने दिया है ताकि में जंगल के सभी जानवरों की सहायता कर सकूँ और जंगल पर राज करूँ”।
जंगल के सभी जानवर सियार की बात मान गए और बोल, “कहिए महराज आपनी की आज्ञा है?”। सियार ने कहा, “जंगल में बस रहे सभी सियार जंगल से निकल जाएं क्यूंकि इससे जंगल में बहुत भयानक आपदा आने वाली है।” नीले सियार की बात मानकर जंगल के सभी जानवरों ने सभी सियारों को जंगल के बाहर निकाल दिया। नीले सियार ने ऐसा इसलिए किया था, की अगर सियार जंगल में रहे तो उसकी पोल खुल सकती थी।

अब नीला सियार जंगल में एक राजा की तरह रह रहा था। मोर उसे अपने पंखों पर झुलाता बन्दर उसके पाँव दबाता। बाकी जानवर उसके लिए स्वादिष्ट शिकार लाते। अब सियार कहीं भी नहीं जाता और अपनी गद्दी में बैठा रहता और सभी जानवर से अपनी सेवा करवाता रहता।

एक दिन चांदनी रात में नीला सियार प्यास लगने के कारण अपनी मांद से बाहर निकला तो उसे दूर जंगल से अन्य सिआरों के हू-हू करने की आवाजें सुनाई दे रही थी, क्युकी यह उनकी आदत होती है। नीले सियार ने अपने आपको बहुत रोकना चाहा परन्तु रोक न सका और तेज-तेज वो भी हू-हू करने लगा। नीले सियार की यह आवाज सुनकर आस पास के सभी जानवर जाग गए। उन्होंने नीले सियार को हू-हू की आवाज करते देख लिया तब उन्हें पता लगा की वह भी एक सियार ही है और इसके हमें मुर्ख बनाया। अब नीले सियार की सभी जानवरों के सामनें पोल खुल चुकी थी। इसका पता चलते ही सभी जानवर उस सियार पर टूट पड़ें और उसे जंगल से भार निकाल दिया।

कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की, हमें कभी भी झूंठ नहीं बोलना चाहिए क्यूंकि एक न एक दिन झूंठ की पोल खुल जाती है और लोगो के सामने आ जाती जिसका परिणाम सही नहीं हो सकता| किसी को भी अधिक समय तक अपने झूंठ से मुर्ख नहीं बनाया जा सकता है|

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