पति कौन है?: विक्रम बेताल की कहानी बच्चो के लिए

कई वर्षो पहले किसी गाँव में एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था, जिसका नाम नारायण था। उसकी एक सुन्दर पुत्री थी जिसकी शादी लायक आयु हो चुकी थी इस कारण परिवार वाले उसके लिए एक योग्य वर खोजने लग गए। एक दिन ब्राह्मण नारायण किसी व्यक्ति के घर पूजा करने के लिए बाहर गया था उसका पुत्र भी पढाई के लिए बाहर गया हुआ था। उस वक्त घर में नारायण की पुत्री और उसकी पत्नी ही थी। उसी समय किसी अन्य ब्राह्मण का लड़का उनके घर आया। नारायण की पत्नी उस लडकें का आदर सत्कार करती है और उसे खाना भी खिलाती है। नारायण की पत्नी को उस लड़के का स्वाभाव बहुत ही पसंद आता है और अपनी पुत्री का विवाह का वादा उस लड़के से कर देती है।

उधर, ब्राह्मण नारायण भी जहाँ पूजा करने गया था उसे भी अपनी पुत्री के लिए एक लड़का पसंद आ जाता है और उससे अपनी पुत्री के उससे विवाह का वादा कर देता है। और ब्राह्मण का बेटा जहाँ पढने गया था वह भी एक लड़के से यही वादा कर देता है। कुछ समय पश्चात नारायण और उसका बेटा स्वयं के द्वारा पसंद किए गए लड़कों को घर लेकर पहुँचते है। पिता और पुत्र के द्वारा पसंद किए गए लड़कों की बात जब उनकी पत्नी सुनती है तो वह भी अपनी बात का वृतांत उन दोनों को बता देती है। अब इस बात को सुनकर दोनों चौंक जाते है। अब सभी एक विचित्र चिंता में पड़ जाते है की लड़की एक है और वादा तीन अलग-अलग लड़कों से कर दिया है, अब इस परिस्थिति से कैसे बाहर निकलेंगे? और अपनी बेटी का विवाह किससे करवाएंगे?

इस परेशानी के बीच उनके पडोसी से खबर आती है की उनकी पुत्री को जहरीले सांप ने काट लिया। घर के सभी सदस्य और ब्राह्मण लड़के भागते हुए लड़की के पास पहुँचते है, लेकिन लड़की की मृत्यु हो चुकी होती है।

यह देखकर तीनो ब्राह्मण के लड़के दुखी जाते है। कुछ समय पश्चात लड़की का परिवार और तीनों ब्राह्मण लड़के मिलकर उसका अंतिम संस्कार करते है। लड़की की क्रिया-कर्म के पश्चात एक ब्राह्मण लड़का उसकी हड्डिया अपने साथ लेकर जंगल चला जाता है और फ़क़ीर बन जाता है। दूसरा लड़का उसकी राख लेकर और अपनी पोटली में भरकर शमशान घाट में झोंपड़ी बनाकर वहीँ रहने लगता है। तीसरा लड़का उस लड़की के गम में योगी बन जाता है और देश-देश घुमने लगता है। ऐसा कही वर्षो तक चलता रहा। एक दिन अचानक योगी बना घूम रहा ब्राह्मण लड़का किसी तांत्रिक के घर पहुँच गया। ब्राह्मण को देख वह तांत्रिक खुश हो गया और उसका अतिथि सत्कार किया। तांत्रिक ने योगी लड़के से कुछ दिन उसके घर रहने के लिए आग्रह किया।

तांत्रिक के अधिक आग्रह करने पर योगी लड़का वही रुक गया। एक समय तांत्रिक अपनी पूजा में मग्न था और उसकी पत्नी सभी के लिए खाने का प्रबंध कर रही थी। उसी समय तांत्रिक का पुत्र जोर-जोर से रोने लगा और अपनी माँ को परेशान करने लगा। तांत्रिक की पत्नी ने पुत्र को चुप कराने की बहुत कोशिशें की परन्तु वह चुप न हुआ और तांत्रिक की पत्नी ने उसकी पिटाई कर दी। उसके बाद में उसका पुत्र चुप नहीं हुआ तो तांत्रिक की पत्नी ने उसे चूल्हे में डालकर जला डाला। यह सब देख ब्राह्मण योगी बहुत क्रोधित हुआ और बिना कुछ खाए पिए वह वहां से जाने लगा। इतने में तांत्रिक आ जाता है और योगी लड़के से कहने लगता है. “महाराज जी खाना तैयार है. आप इस तरह के क्रोध से खाना खाए बिना ना जाए।”

गुस्से से योगी ने कहा, “में इस घर में क्षण भर भी नहीं रह सकता जहाँ इस तरह की राक्षसी रहती है, तो मेरे यहाँ खाना खाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।” इतना सुनते ही तांत्रिक चूल्हें के पास जाता है और अपनी पुस्तक में से मंत्र विद्या पड़कर अपने बेटे को जीवित कर देता है। यह सब देखकर योगी हैरान रह जाता है। यह देख योगी लडकें के मन में विचार आया की यदि यह पुस्तक मुझे मिल जाए तो में अपनी पत्नी को जीवित कर सकता हूँ । तांत्रिक ने फिर योगी से आग्रह किया की महाराज अब तो खाना खा सकते है आप।

अब योगी के दिमाग में सिर्फ यही बात रहती है की किसी तरह वह किताब उसके हाथ लग जाएं। यही सोचते-सोचते आधी रात निकल जाती है। आधी रात्री में योगी लड़का उस मन्त्र विद्या वाली किताब को लेकर श्मशान घाट पहुँचता है। जहाँ ब्राह्मण की पुत्री का अंतिम संस्कार किया गया था। वह सबसे पहले झोपडी बनाकर रह रहे लड़के के पास पहुँचता है और उसे पूरी बातें बताता है। इसके बाद दोनों मिलकर फ़क़ीर बने ब्राह्मण को खोजने लगते है।

फकीर ब्राह्मण के मिलते है योगी ब्राह्मण दोनों से कहता है की लड़की की हड्डियाँ और राख लेकर आ जाओ, में उसे जिन्दा कर दूंगा। दोनों लडकें योगी की बात सुकर ऐसा ही करते है। लड़की की हड्डियाँ और राख को तीनो उसे जलाई हुई जगह पर ले जाते है योगी ब्राह्मण मंत्र पढता है और लड़की जीवित हो जाती है। यह देख तीनो लड़के प्रसन्न हो जाते है। इतनी कहानी सुनकर बेताल शांत हो जाता है। कुछ समय पश्चात वह राजा विक्रम से पूछता है, “बताओं वह लड़की अब किसकी पत्नी हुई?” विक्रमादित्य, बेताल के दोबारा उड़ जाने के दर से जवाब नहीं देते।

गुस्से में बेताल कहता है, “देखो अगर तुम्हें इस प्रश्न के जवाब का पता है और बताना नहीं चाहते, तो में तुम्हारी गर्दन को काट दूंगा, जल्दी से इस प्रश्न का जवाब दो। “इतना सुनते है राजा बोलते है, “जो ब्राह्मण श्मशान में झोपडी बनाकर रह रहा होता है, वो उसकी ही पत्नी हुई।” बेताल ने पुछा, “वो कैसे?”

तब विक्रम ने उत्तर दिया और कहा “जो हड्डी लेकर फ़क़ीर बना वह उसका बेटा हुआ। जिसने मन्त्र विद्या से उसे जिन्दा किया वह उसके पति समान हुआ और जो उसकी राख के साथ जीवन जी रहा था, वह उसका पति हुआ”।

जवाब सुनते ही बेताल उसकी कद्दी से उड़ गया, और बोला, “राजन तुमने बिलकुल सही जवाब दिया, लेकिन शर्त के मुताबिक तुम बोले और में दुबारा उड़ रहा हूँ” । इतना कहकर बेताल उड़कर जंगल में पेड़ में जाकर लटक गया और रजा विक्रम भी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगते है।

इस कहानी से शिक्षा।
चतुराई और बुद्धि से कई कठिन समस्याओं को हल निकाला जा सकता है।

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