Samanya Gyan

सिंधु घाटी (हडप्पा) सभ्यता से जुड़ी महत्‍वपूर्ण तथ्य एवं रोचक जानकारी हिंदी भाषा में

Here you will find indus valley civilization or sindhu valley culture samanya gyan in hindi

रेडियोकार्बन C14 जैसी नविन विश्लेषण-पद्धति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2350 ई० पू० से 1750 ई० पूर्व मानी गयी हैं| सिन्धु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने की सिन्धु सभ्यता को प्राकएतिहासिक (Protohistoric) अथवा कास्य (Bronze) युग में रखा जा सकता हैं इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्यसागरीय थे|

सिन्धु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल आलमगीरपुर (जिला मेरठ , उत्तर प्रदेश), उत्तरी प्रस्थल मांदा) जिला (जिला अखनूर जम्मू-कश्मीर) तथा दक्षिणी पुरास्थल दाइमाबाद (जिला अहमद नगर, महाराष्ट्र) सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बड़े नगर की संज्ञा दी गयी हैं, ये हैं-मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा राखिगड़ी एवं कालीबंगन|

स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं.लोथल एवं सुतकोतदा-सिन्धु सभ्यता को बंदरगाह था जूते हुए खेत और नक्काशीदार इंटों के प्रयोग का साक्ष्य कालीबैंगन से प्राप्त हुआ हैं| मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार संभवत: सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत हैं. मोहनजोदड़ो से प्राप्त ब्रहत स्नानागार एक प्रमुख स्मारक हैं, जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चोडा एवं 2.43 मीटर गहरा हैं.

अग्निकुण्ड लोथल एवं कालीबंगन से प्राप्त हुए हैं. मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपति नाथ) की मूर्ति मिली हैं| उनके चारों और हाथी, गैंडा चिता एवं भैंसा विराजमान हैं. मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली हैं.

हड़प्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक श्रंगी पशु का अंकन मिलता हैं मनके बनाने के कारखाने लोथल एवं चंहुदडों से मिले हैं. सिन्धु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक हैं यह लिपि दाई से बाई और लिखी जाती थी. जब अभिलेख एक से अधिक पंक्तियों को होता था तो पहली पंक्ति दाई से बाई और दूसरी बाई से दाई और लिखी जाती थी|

सिन्धु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई , घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की और न खुलकर पिछवाड़े की और खुलते थे , केवल लोथल नगर के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की और खुलते थे.

सिन्धु सभ्यता में मुख्य फसल थी – गेंहू और जौ | सैंधव वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे| रंगपुर एवं लोथल से चावल के दाने मिले हैं, जिसने धान की खेती होने का प्रमाण मिलता हैं चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से ही प्राप्त हुए हैं|

सुरकोतदा, कालीबंगन एवं लोथल से सैंधवकालीन घोड़े के अस्थिपंजर मिले हैं तील की इकाई संभवत: 16 के अनुपात से थी. सैंधव सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहियों एवं चार पहियों वाली बैलगाड़ी या भैंसागाडी का उपयोग करते थे|

मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलुहा शब्द का अभिप्राय सिन्धु सभ्यता से ही हैं | संभवत: हड़प्पा संस्कृति का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था | पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्त्रत साम्राज्य की जुडवा राजधानी कहा हैं |

सिन्धु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे , वृक्ष-पूजा एवं शिव-पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिन्धु सभ्यता से मिलते हैं| स्वस्तिक चिन्ह संभवत: हड़प्पा सभ्यता की दें हैं इस चिन्ह से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता हैं सिन्धु घाटी के नगरों में किसी भी मंदिर, के अवशेष नहीं मिले हैं|

सिन्धु सभ्यता में मार्तदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी. पशुओं में कूबड़ वाला सांड, इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था. स्त्री मुन्मुर्तियाँ (मिटटी की मूर्तियाँ) अधिक मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जाता हैं की सैंधव समाज मर्त्सत्तात्मक था. सैंधववासी सूती एवं ऊनि वस्त्रों का प्रयोग करते थे.

मनोरंजन के लिए सैंधववासी मछली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना, चौपड़ और पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे. सिन्धु सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाईन किए हुए लाल मिटटी के बर्तन बनाते थे.

सिन्धु घाटी के लोग तलवार से परिचित नहीं थे कालीबंगन एक मात्र हड़प्पाकालीन स्थल था, जिसका निचला शहर (सामान्य लोगों के रहने हेतु) भी किले से घिरा हुआ था| पर्दा-प्रथा एवं वेश्यावृत्ति सैंधव सभ्यता में प्रचलित थी.

शवों को जलाने एवं गाड़ने यानी दोनों प्रथाएं प्रचलित थी हड़प्पा में शवों को दफ़नाने जबकि मोहनजोदड़ों में जलाने की प्रथा विद्दमान थी. लोथल एवं कालीबंगा में युग्म समाधियाँ मिली हैं|

सैंधव सभ्यता के विनाश का संभवत; सबसे प्रभावी कारण बाड़ था| आग में पकी हुई मिटटी को टेराकोटा कहा जाता हैं|

सिन्धु काल में विदेशी व्यापार
आयातित – वस्तुएं
तांबा – खेतड़ी, बलूचिस्तान, ओमान
चांदी – अफगानिस्तान, इरान
सोना – कर्नाटक, अफगानिस्तान, इरान
टिन – अफगानिस्तान, इरान
गोमेद – सौराष्ट्र
लाजवर्द – मेसोपोटामिया
सीसा – ईरान

Gk Section
Gksection.com यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, आईबीपीएस, आईएएस, एनटीएसई, सीएलएटी, रेलवे, एनडीए, सीडीएस, न्यायपालिका, यूपीपीएससी, आरपीएससी, जीपीएससी, एमपीएससी के लिए जीके (सामान्य ज्ञान), करंट अफेयर्स और सामान्य अध्ययन के लिए भारत की शीर्ष वेबसाइट में से एक है। यह पोर्टल एमपीपीएससी और भारत के अन्य राज्यों की सिविल सेवा/सरकारी नौकरी भर्ती परीक्षाएं सम्बंधित लेटेस्ट अपडेट प्रकाशित करता है।
https://www.gksection.com/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *