
बनारस की शहनाई को GI टैग की मान्यता मिली
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Varanasi Shehnai got GI Tag – बनारसी शहनाई को जीआई टैग
यूपी का सबसे प्रसिद्ध शहर बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ है. हाल ही में मोदी ने यहां की एक सांस्कृतिक विरासत को GI टैग देकर सम्मानित किया है.
उत्तर प्रदेश में बसा हुआ शहर बनारस बहुत ही पुराना माना जाता है. बनारस की संस्कृति बहुत पुरानी है. साथ ही इस जगह का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. ऐतिहासिक दृष्टि के साथ ही बनारस राजनीतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण जगह है. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ माना जाता है. मोदी ने इस शहर के विकास के लिए कई शानदार काम किए. वैसे तो बनारस की कई चीजों को GI टैग मिल चुका है, लेकिन हाल ही में यहां की एक अनमोल चीज को भी GI टैग दिया गया है.
बनारस की शहनाई को मिला GI टैग – काशी की विरासत को मिली ऐतिहासिक मान्यता
हाल ही में बनारस की शहनाई को GI टैग दिया (Varanasi Shehnai got GI Tag) गया है. दअरसल, शहनाई के वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खान बनारस से थे और उन्होंने शहनाई को देश विदेश में प्रसिद्धि दिलाई. बिस्मिल्ला खान ने शहनाई के माध्यम से संगीत और भारतीय संस्कृति को देश दुनिया में फैलाया. अब शहनाई महज एक वाद्य यंत्र नहीं है, बल्कि यह भारतीय धार्मिक और संगीत का भी प्रतीक है. बनारस के लोगों के लिए यह सिर्फ संगीत नहीं बल्कि उनके पूर्वजों के समय से चलती आ रही एक विरासत है. वे इस विरासत को और आगे तक ले जाना चाहते हैं.
शहनाई का जीवन में बहुत महत्व है. यह बच्चे के जन्म, शादी विवाह, पूजा पाठ, और मंदिरों के कार्यक्रमो में बजाई जाती है. यह अब देश की संस्कृति से जुड़ चुका है. प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सम्मान चौथी पीढ़ी के शहनाई निर्माता रमेश कुमार को दिया है. उस्ताद बिस्मिल्ला खान ने शहनाई को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
बनारस की इन सांस्कृतिक चीज को दिया जा चूका है GI टैग
शहनाई से पहले बनारस की और भी कई चीजों को GI टैग दिया जा चुका है. इसमें वाराणसी का तबला, शहनाई, दीवार पर बनने वाली पेंटिंग, ठंडाई, लाल भरवां मिर्च, लाल पेड़ा, तिरंगा बर्फी सहित इन सभी चीजों को GI टैग दिया जा चुका है.