यदि कोई व्यक्ति कुछ बन्ने की ठान ले और ये संकल्प कर ले की वह कुछ भी कर सकता और जो हासिल करना है उसे हासिल करने के लिए में किसी भी मौज, मनोरंजन का त्याग कर सकता है. ऐसी से कुछ वाक्य जुड़े है आईएस बन चुके शशांक मिश्र की जिन्होंने ट्रेन में पढ़ाई और अपने सभी मनोरंजन का त्याग करने के बाद IAS में सांतवीं रैंक हासिल की है.
हर कामयाब व्यक्ति को शुरुआत दौर में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और यदि वह उन दिक्कतों से लड़ कर आगे बढे तो उसकी मेहनत रंग ला सकती है. शशांक मिश्र जी ने अपनी कड़ी मेहनत करके यूपीएससी में सांतवीं रैंक प्राप्त की| हर वर्ष यूपीएससी की परीक्षा आयोजित होती है और अपनी मेहनत अजमाने के लिए कई उम्मीदवार इन चुनौतीपूर्ण परीक्षा के लिए आवेदन करते है परन्तु वही व्यक्ति इस परीक्षा में बेहतक उभर कर आते है जिन्होंने अपनी दिन रात एक करके इसे पाने के लिए सुख चैन खो दिया हो.
देश में कई युवा व्यक्ति यूपीएससी IAS बन्ने का सपना संजोते है उनकी युवाओं में से एक शशांक मिश्रा है जिनकी कहानी भी कुछ ऐसी ही है|
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शशांक मिश्रा यूपी के मेरठ में रहने वाले है जिन्होंने यूपीएससी में सांतवीं रैंक प्राप्त कर IAS बन्ने का अपना पुराना सपना पूरा कर लिया और अपने परिवार वालो का सिर फक्र से ऊँचा कर दिया| शशांक की 12वीं की पढाई के दौरान उनके पिता उनकी जिन्दगी में नहीं रहे पिता के बाद घर में तंगी जैसे दौर से गुजरना पड़ा जिसके कारण शशांक को पढाई की फ़ीस भरना तक मुश्किल हो गया था| इन सब कठिन परिस्थितयों में इन्होने अपना धेर्य नहीं खोया और अपना सपना साकार करने के लिए पढाई लिखी जारी रखी जिस वजह से आज वह IAS बने|
शशांक के पिता यूपी के कृषि डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर थे शशांक के पिता का जब निधन हुआ जब वह 12वीं के साथ-साथ आईटीआई की पढ़ाई भी कर रहे थे| पिता के गुजरने के बाद इनके परिवार की जम्मेदारी उन पर आ गई थी जिनमें से इनके तीन भाई-बहन थी|
12वीं कक्षा में इनके बहुत अच्छे परिणाम आए थे जिसकी वजह से इनकी कोचिंग की फ़ीस कम कर दी गई थी| स्कुल पढाई के बाद इन्होने आईटीआई में 137वीं रैंक प्राप्त की| शशांक ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया था| इसके बाद इन्हें एम्रिका की मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी का ऑफर हुआ और वाला नौकरी लग गई थी।
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परन्तु इस यूएस की अच्छी सैलरी वाली नौकरी से शशांक खुश नहीं थे क्यूंकि उन्हें तो सिर्फ एक ही लग्न थी की यूपीएससी की परीक्षा पास करना और कुछ बड़ा करना और उन्होंने यूएस की अच्छी सैलरी वाली नौकरी को ठुकरा दिया और वर्ष 2004 में यूपीएससी की तैर्यारी करने में लग गए|
आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण शशांक ने दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाना शुरू किया|
कोचिंग में पढ़ाने के बावजूद उनकी तनख्वा इतनी न थी की वह दिल्ली जैसे शहर में किराए के घर में रह सके| ऐसी स्थिति में वह मेरठ से दिल्ली प्रतिदिन आना जाना करने लगे| इस सफ़र में उन्हें दो घंटे लगते थे. इसके कारण शशांक ट्रेन में पढ़ाई किया करते है| शाशंक मिश्र ने दो साल तक सही से पढाई की और इस परीक्षा की तैयारी की इस दौरान उन्हें कई समय भूख लगने पर भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता था| कई बार वह सिर्फ बिस्किट खाकर गुजारा कर लेते थे| इन कठिन परिस्थितयों के बाद आखिरकार शशांक मिश्र की मेहनत रंग लाइ और पहले ही अटेंप्ट में एलाइड सर्विस में सिलेक्शन हो गया| साल 2007 में दुसरे प्रयास में इन्होने पांचवी रैंक प्राप्त कर आईएएस बन्ने का सपना पूरा किया| शशांक एमपी के उज्जैन जिले के फिलहार अभी कलेक्टर है|
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