अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय – Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi

अटल बिहारी वाजपेयी: एक महान भारतीय नेता का प्रेरणादायक जीवन परिचय

Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश ने हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी भारत के ग्यारहवें प्रधानमंत्री रहे है. सन् 2015 में वाजपेयी जी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. वर्तमान में अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिवस “गुड गवर्नेंस डे (सुशासन दिवस)” के रूप में मनाया जाता हैं. वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं, और वे 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे.

जीवनपरिचय
पूरा नाम अटल बिहारी वाजपेयी
जन्म25 दिसंबर 1924 ग्वालियर, मध्य प्रदेश
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनैतिक दल (पार्टी)भारतीय जनता पार्टी
कार्य/पदराजनेता, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री
पिता का नामकृष्ण बिहारी वाजपेयी
माता का नाम कृष्णा देवी
शिक्षा (बी०ए०)विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज)
सम्मान भारत रत्न 2014 दिसम्बर – (2015)
प्रथम शासनकाल 16 मई 1996 – 1 जून 1996
द्वितीय शासनकाल19 मार्च 1998 – 22 मई 2004
Highlights

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय : परिवार

अटल बिहारी वाजपेयी जी के पिता का नाम श्री कृष्णा बिहारी वाजपेयी और माता का नाम श्री कृष्णा देवी था. कृष्णा बिहारी वाजपेयी जी अपने गाँव के एक महान कवी और एक अध्यापक थे.

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय : शिक्षा

ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (लक्ष्मीबाई कालेज) से अटल जी ने अपनी बी०ए० की शिक्षा प्राप्त की व् कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. बाद में अपने पिता श्री कृष्णा बिहारी वाजपेयी के साथ कानपुर में उन्होंने एल०एल०बी० की पढ़ाई भी प्रारम्भ की परन्तु संघ के कार्य में पूरी निष्ठा से जुड़े रहने की वजह से उन्होंने इस पढ़ाई को बीच में ही विराम दिया.

अटल बिहारी वाजपेयी जीवनी – राजनितिक जीवन

अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री कार्यकाल पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक ही रहा तथा फिर बाद में 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक वे भारत के प्रधानमंत्री रहे. अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत अब तक एकमात्र ऐसे नेता हैं जोकि जवाहर लाल नेहरू जी के बाद लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद संभाला. इनकी सरकार कुल 24 दलों के गठबंधन द्वारा बनाई गई थी जिसमें 81 मन्त्री सम्मिलित थे.

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय: मुख्य रचनाएं

अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा अनेकों रचनायें लिखी व् प्रकाशित की गई है जैसे

  • मृत्यु या हत्या,
  • अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह),
  • कैदी कविराय की कुण्डलियाँ,
  • संसद में तीन दशक,
  • अमर आग है,

कुछ लेख: कुछ भाषण, सेक्युलर वाद, राजनीति की रपटीली राहें, बिन्दु बिन्दु विचार, मेरी इक्यावन कविताएँ आदि उनकी प्रमुख रचनाएं है.

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय: सम्मान एवं पुरस्कार

अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनके निष्ठा पूर्वक कार्य के लिए अनेको पुरस्कारों से सम्मानित किया है. उन्हें,

  • 1992 में देश की उन्नति में योगदान के लिए पद्म विभूषण ,
  • 1993: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय),
  • 1994: लोकमान्य तिलक पुरस्कार,
  • 1994: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार,
  • 1994: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
  • 2014 दिसम्बर में उन्हें उनके असाधारण कार्यों के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
  • 2015 में डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय),
  • 2015 : ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
  • 2015: भारतरत्न से सम्मानित किया गया.
Read Also...  Thiruvalluvar in Hindi - तमिल कवि संत तिरुवल्लुवर का जीवन परिचय हिंदी में

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय: महत्वपूर्ण व् रोचक तथ्य

अटल बिहारी वाजपेयी जी की कोई पत्नी नहीं है वे आजीवन अविवाहित हैं. राजनीती से जुड़े रहने के बावजूद व् एक अच्छे ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी रहें हैं. भारत के सेन्य शक्ति की बात करे तो इन्होने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कराया और बता दिया की भारत भी किसी देश के सेन्य विकास से कम नहीं है और ये भारत देश की सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा साहस भरा कदम था. अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कराने के बाद भारत ने सन् 1998 परमाणु का द्वितीय परीक्षण और इसकी जरा से भी भनक अमेरिका की सी०आई०ए० तक को नहीं लगने दी थी. भारत के लिए यह एक गर्व की बात है जब अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना भाषण हिंदी भाषा में दिया जोकि भारत के लिए एक गर्व की बात थी. अटल बिहारी वाजपेयी जी अब तक के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने एक गठबंधन सरकार न सिर्फ मजबूती से स्थिर रखा बल्कि लम्बे समय तक उसे सफलता पूर्वक चलाया.

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय: प्रमुख टिप्पणियाँ

“भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो.” “क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ “मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं. वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है. वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है

अटल बिहारी वाजपेयी जी का अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया.

अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय: 10 कविताएं

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के अलावा हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर प्रभावशाली वक्ता भी हैं.

दो अनुभूतियाँ
पहली अनुभूति:

गीत नहीं गाता हूँ

बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर

अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ

पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ

Read Also...  Ex RBI Governor Shaktikanta Das in Hindi- कौन हैं शक्तिकांत दास?, पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के बारे में

दूसरी अनुभूति:

गीत नया गाता हूँ

टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात

प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ

क़दम मिला कर चलना होगा
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

मैं न चुप हूँ न गाता हूँ

न मैं चुप हूँ न गाता हूँ

सवेरा है मगर पूरब दिशा में
घिर रहे बादल
रूई से धुंधलके में
मील के पत्थर पड़े घायल
ठिठके पाँव
ओझल गाँव
जड़ता है न गतिमयता

स्वयं को दूसरों की दृष्टि से
मैं देख पाता हूं
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ

समय की सदर साँसों ने
चिनारों को झुलस डाला,
मगर हिमपात को देती
चुनौती एक दुर्ममाला,

बिखरे नीड़,
विहँसे चीड़,
आँसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूँ।
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ

आओ फिर से दिया जलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

कौरव कौन, कौन पांडव

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है|

Read Also...  Ramanujacharya in Hindi - विशिष्टाद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक रामानुजाचार्य का जीवन परिचय हिंदी में

दूध में दरार पड़ गई

ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बँट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।
बात बनाएँ, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

पुनः चमकेगा दिनकर

आज़ादी का दिन मना,
नई ग़ुलामी बीच;
सूखी धरती, सूना अंबर,
मन-आंगन में कीच;
मन-आंगम में कीच,
कमल सारे मुरझाए;
एक-एक कर बुझे दीप,
अंधियारे छाए;
कह क़ैदी कबिराय
न अपना छोटा जी कर;
चीर निशा का वक्ष
पुनः चमकेगा दिनकर।

न दैन्यं न पलायनम्.

कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और—
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।

किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में—
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।

आज,
जब कि राष्ट्र-जीवन की
समस्त निधियाँ,
दाँव पर लगी हैं,
और,
एक घनीभूत अंधेरा—
हमारे जीवन के
सारे आलोक को
निगल लेना चाहता है;

हमें ध्येय के लिए
जीने, जूझने और
आवश्यकता पड़ने पर—
मरने के संकल्प को दोहराना है।

आग्नेय परीक्षा की
इस घड़ी में—
आइए, अर्जुन की तरह
उद्घोष करें :
‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’

मैंने जन्म नहीं मांगा था!

मैंने जन्म नहीं मांगा था,
किन्तु मरण की मांग करुँगा।

जाने कितनी बार जिया हूँ,
जाने कितनी बार मरा हूँ।
जन्म मरण के फेरे से मैं,
इतना पहले नहीं डरा हूँ।

अन्तहीन अंधियार ज्योति की,
कब तक और तलाश करूँगा।
मैंने जन्म नहीं माँगा था,
किन्तु मरण की मांग करूँगा।

बचपन, यौवन और बुढ़ापा,
कुछ दशकों में ख़त्म कहानी।
फिर-फिर जीना, फिर-फिर मरना,
यह मजबूरी या मनमानी?

पूर्व जन्म के पूर्व बसी—
दुनिया का द्वारचार करूँगा।
मैंने जन्म नहीं मांगा था,
किन्तु मरण की मांग करूँगा।

मौत से ठन गई

ठन गई!
मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।

मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

नोट: हममें उम्मीद है अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय को आपने पूरा पढ़ा होगा, यदि अटल बिहारी वाजपेयी जीवनी के इस लेख में कुछ गलत प्रकाशित हो गया है तो उसमे सुधार करने के लिए कृपया हमें मेल करैं या फिर कमेंट करैं.

Previous Post Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *