गुरु पूर्णिमा पर निबन्ध – Essay On Guru Purnima in Hindi

Guru Purnima Essay – यहाँ पर आप गुरु पूर्णिमा पर निबन्ध (Essay On Guru Purnima in Hindi) के सरल उदाहरण प्रकाशित किए गए है.

गुरु पूर्णिमा: प्रस्तावना

गुरु पूर्णिमा, जिसे हम सब व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं, गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म के सभी गुरुओं के सम्मान उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा शुक्ला पूर्णिमा के दिन मनया जाता है, गुरु पूर्णिमा जुलाई या अगस्त के महीने में मनाई जाती है।

गुरु पूर्णिमा: अर्थ
गुरु पूर्णिमा का साधारण अर्थ है ‘गुरु का पूर्ण अवसर’ जिसमें गुरु के प्रति आदर, भक्ति और श्रद्धा प्रकट की जाति है। गुरु पूर्णिमा को मनाने का प्रचार हमारे देश में कई वर्षो से चला आ रहा है और वर्तमान में भी इसका पूर्ण रूप में पालन किया जाता है। गुरु पूर्णिमा उत्सव के दिन गुरु के प्रति सम्मान और धन्यवाद व्यक्त करने का एक अवसर है।

गुरु पूर्णिमा: क्यूँ मनाते हैं?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुदेव के चरणों में प्रणाम किया जाता है और उनका आशीर्वाद लेने के लिए प्रार्थना करते है। गुरु पूर्णिमा को मनाने का उद्देश्य यह है कि गुरु के शिष्य उनके उपदेश और विद्या को याद रखें और अपने जीवन में उनका अनुकरण कर आगे बड़े। कई लोग इस दिन को योग और ध्यान का दिवस भी मानते हैं, क्योंकि गुरु के द्वारा उपदेश योग विद्या और ध्यान के द्वारा आत्मिक शांति और साकारात्मक शक्ति प्राप्त की जा सकती है।

गुरु पूर्णिमा: कैसे मनाते हैं?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुदेव की कथा और उनके जीवन परिचय का वर्णन किया जाता है। इस दिन को मनाने के लिए कई लोग गुरुद्वारों, आश्रमों , मंदिरों एवं अपने विधालयों में जाते हैं। गुरु पूर्णिमा का महत्व इस बात से है कि गुरु शिष्य के जीवन में एक रोशनी की किरणों की तरह प्रकाश डालते हैं। गुरु के उपदेश और मार्गदर्शन के सहारा ही किसी शिष्य की सफलता और आनंद की ऊँचाइयों तक पहुंचते हैं।

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गुरु पूर्णिमा: निष्कर्ष
हमारे देश में कई प्रकार के गुरु हैं, जैसे कि आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक गुरु, शास्त्र गुरु, योग गुरु, धर्म गुरु, इत्यादी। सभी गुरुओं के प्रति भक्ति और श्रद्धा को मनाने के लिए गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनया जाता है। इस दिवस को मनाने के साथ ही, लोग अपने गुरुओं के प्रति धन्यवाद प्रकट करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। इस तरह से, गुरु पूर्णिमा एक ऐसा अवसर है जिसमें गुरु के महत्व को याद रखा जाता है और उनकी उपदेश और विद्याओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया जाता है।

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