महिला सशक्तिकरण पर निबन्ध – Essay On Women Empowerment in Hindi

Women Empowerment Essay – यहाँ पर आप महिला सशक्तिकरण पर निबन्ध (Essay On Women Empowerment in Hindi) के सरल उदाहरण प्रकाशित किए गए है.

नीचे दिया गया महिला सशक्तिकरण निबंध हिंदी में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयुक्त है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध

महिला सशक्तिकरण को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है, कि इससे महिलाओं में उस शक्ति का प्रवाह होता है, जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है।

आज के आधुनिक यूग में महिला सशक्तिकरण एक विशेष चर्चा का विषय है। हमारे आदि ग्रन्थों में नारी के महत्व को यहाँ तक बताया गया कि ‘यत्र नार्यन्तु पूज्यन्ते ,रमन्ते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी की पुजा होती है ,वहाँ देवता निवास करते हैं। हमारे वेदों मेन भी नारी को शक्ति का अवतार माना गया है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है ,ताकि उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक विकास में बराबरी के अवसर मिल सके। जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता तथा तरक्की प्राप्त कर सकें। यह वह तरीका है जिसके द्वारा महिलाएं भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए पड़ी, क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुष प्रधान समाज का प्राचीन भारतीय समाज दूसरे भेदभाव पूर्ण दस्तूरों के साथ सती प्रथा, नगरवधू, व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, बाल मजदूरी, बाल विवाह आदि परंपरा थी। इनमें से कई सारी प्रथाएं आज भी समाज में उपस्थित हैं। भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी सूचनाएं चलाई जा रही हैं। महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय तथा भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिला हेल्पलाइन, उज्जवला योजना, महिला शक्ति केंद्र जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।

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जिस तरह से भारत सबसे तेज आर्थिक विकास प्राप्त करने वाले देशों में शामिल हुआ है। उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है। क्योंकि इसी के द्वारा देश में लैंगिक समानता और आर्थिक विकास को प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय समाज में वास्तव में महिला सशक्तिकरण लाने के लिए महिलाओं के खिलाफ बुरी मकानों को समझना और उन्हें हटाना होगा। जोकि पितृसत्तात्मक और पुरुष प्रधान युक्त व्यवस्था है। जरूरत है कि हम संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों को भी बदलने का प्रयास करें।

महिलाएं हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यदि हम अपने देश को विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करना चाहते हैं, तो महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है। आज के युग में महिलाएं हर एक क्षेत्र में अपने कौशल और अनुभव से पुरुषों को भी आगे छोड़ रहीं हैं। महिलाओं को अब भारतीय सेना में भी शामिल किया जाता है, क्योंकि महिलाओं ने बहुत पहले भी अपने साहस और शौर्य का परिचय दिया है। जैसे महारानी लक्षमीबाइ, बेगम हजरत, एनिवेसेंट जैसी कई वीरांगनाओं ने अपनी मात्राभूमि के लिए खुद को न्यौछाबर कर दिया। सावित्रीबाई, ज्योतिरवफुले, कल्पना चावला, सानिया मिर्जा जैसी कई महिलाओं ने वह कार्य कर जो इस पुरुष श्रेष्ठ समाज में किसी ने अपेक्षा नहीं कि थी किन्तु आज भी समाज में कुछ तुच्छ और घिनौनी सोच रखने वालों कि वजह से महिलाएं सुक्षित नहीं हैं इसलिए इनके लिए कड़े कानून बनाना और इस प्रकार कि सोच को बदलना अतिआवश्यक है तभी सही मायने में महिला सशक्तिकरण हो सकता है।

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नारी शिक्षा पर निबंध 300 शब्दों में

समाज के निर्माण से लेकर समाज की उन्नति में महिलाओं का एक महत्वपूर्ण स्थान है। अगर कुछ समय पहले की बात की जाए तो महिलाएं केवल गृहस्ती का कार्य संभालती थी साथ ही बच्चों का पालन पोषण, पुरुष केवल बाहरी काम संभालता था। ऐसे में यदि महिला शिक्षित ना हो तो वह किस प्रकार अपने बच्चों को सही शिक्षा दे पाएगी और साथ ही गृहस्थी के कार्यों को अच्छे से संभाल पाएगी। इसी प्रकार अगर इतिहास में देखें तो वे राष्ट्र ज्यादा विकसित हैं तथा सुनियोजित तरीके से चल रहे हैं जिसमें महिलाओं तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त है।

नारी सशक्तिकरण

एक समय था जब महिलाओं को केवल और केवल एक वस्तु माना जाता था। उस समय ना उन को शिक्षा का अधिकार था, ना बाहर जाने का। उन्हें हर चीज के लिए मनाही थी। इस कारण वे ना अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाती थीं, ना ही खुद के हक के लिए लड़ पाती थीं। उस समय में देखा जाए तो महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार अत्यधिक मात्रा में हुआ करता था। पर जब से धीरे-धीरे महिलाओं को शिक्षा का अधिकार प्राप्त हुआ, तब से धीरे-धीरे समाज में सुधार देखने को मिला, महिलाओं ने अपने हक के लिए लड़ना प्रारंभ किया। उनके शिक्षित होने से ना केवल समाज को पुरुष चलाने लगे बल्कि महिलाओं का भी उसमें बराबर हाथ देखने को मिलने लगा।

नारी शिक्षा प्रचलन

नारी शिक्षा के प्रचलन में 2 नाम महत्वपूर्ण है पहला राजा राममोहन राय और दूसरा ईश्वरचंद्र विद्यासागर इन्होंने अथक प्रयास तथा कई हिंसाओ एवं विरोधों का सामना करने के पश्चात समाज में नारी शिक्षा के प्रति एक बड़ा बदलाव लाया। लोगों को नारी शिक्षा के प्रति जागरूक किया। यूं तो नारी शिक्षा के लिए जागरूक करने वाले तत्व इतिहास में बहुत पहले से दिखते हैं जिसमें पुराने साहित्यकारों द्वारा लिखे कविताएं, कहानी, नाटक इत्यादि हैं। परंतु इन दोनों के कारण नारी शिक्षा मैं एक महत्वपूर्ण कार्य हुआ।

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सशक्त नारी समान अधिकार

समाज को उन्नति प्रदान करने व सुचारू रूप से चलाने के लिए पुरुष और महिला दोनों की समान रूप से भागीदारी आवश्यक है। समाज रूपी वाहन के दो पहिए हैं, पुरुष और महिला। ऐसे में यदि एक पहिया कमजोर हो तो वाहन का अच्छे तरीके से चलना संभव नहीं है। इसी कारण नारी शिक्षा अति महत्वपूर्ण है।

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