गुरू तेग बहादुर सिंह का शहीदी दिवस – Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2025 in Hindi
- Gk Section
- Posted on
24 नवंबर को सीखो के 9वें गुरू, गुरू तेग बहादुर सिंह का शहीदी दिवास
गुरु तेग़ बहादुर शहीदी दिवस (Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas) 24 नवंबर को मनाया जाता है। गुरु तेग़ बहादुर सिखों के 9वें गुरू थे, इनका जन्म अमृतसर में 21 अप्रैल, 1621 को हुआ था। इनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद था जोकि सिखों के छठे गुरु थे और माता का नाम नानकी था।

गुरु तेग बहादुर जी कौन थे?
गुरु तेग बहादुर सिंह को सिख समुदाय में एक क्रांतिकारी युग पुरुष के रूप में जाना जाता है। सिखों के 9वें गुरू गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनकी मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी के कारण से वो तेग बहादुर के नाम से मशहूर हुए थे। गुरु तेग बहादुर, गुरु हरगोबिंद साहिब जी के सबसे छोटे पुत्र थे। जिन्हें ‘हिंद की चादर’ के नाम जाना जाता था। उन्होंने हिंदू समुदाय की रक्षा करने के लिए मुगल शासक औरंगजेब से बिना किसी भय से आमना-सामना किया था।
गुरु तेग बहादुर कब बनें 9वें गुरु?
सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के पश्चात गुरु तेग बहादुर को सिखों का वां गुरु बनाया गया था। गुरु तेग बहादुर सिंह ने समाज में आदर्श, धर्म, मानवीय मूल्य तथा उनके सिद्धांतों की सुरक्षा के लिए अपनी जान तक न्योछावर कर दी थी। वे एक बहादुर, निडर, विचारवान और उदार चित्त वाले गुरु थे।
धर्म के प्रति शहादत
औरंगजेब के जबरन धर्मांतरण मोर्चा के विरोध में इस्लाम स्वीकार न करने के कारण सन 1675 में मुग़ल औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर ने सिर कटवा दिया था, औरंगजेब के सामने गुरु तेग बहादुर जी ने सिर कटवाना मजूर कर लिया परन्तु मुगलों के आगे अपना सर नहीं झुकाया।
गुरुद्वारा शीश गंज साहिब का इतिहास
गुरुद्वारा शीश गंज साहिब वर्तमान दिल्ली में मौजूद 9 ऐतिहासिक गुरुद्वारों में से एक माना जाता है। जोकि पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। अपने धर्म की रक्षा करने क लिए गुरु तेग बहादुर जी ने अपना सर कटवा दिया था और जिस स्थान पर काटा गया था वहां आज गुरद्वारा शीश गंज साहिब स्थित है। साल 1783 में 9वें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत के उपलक्ष्य बघेल सिंह ने इस निर्माण करवाया था।