दशहरा पर निबन्ध – Essay On Dussehra in Hindi

Dussehra Essay – यहाँ पर आप दशहरा पर निबन्ध (Essay On Dussehra in Hindi) के सरल उदाहरण प्रकाशित किए गए है.

दशहरा हिन्दू पर्व है, जिसे भारत में कई सालो से जा रहा है इस त्यौहार का अर्थ ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ होता है। स्कुल बच्चो की परीक्षा के समय दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने व् स्पीच देने के लिए कहा है, जिससे शिक्षक को यह पता चल सके की बच्चे को दशहरा के इस पर्व के बारे में कितना ज्ञान है, दशहरा पर निबन्ध तभी अच्छा लिखा जा सकता है जब बच्चे को दशहरा के बारे में अच्छी तरह से पता हो। आज हमने Essay on Dussehra in Hindi के मध्यम से आसान शब्दों में इस त्यौहार के बारे में बताया है, जिसके जरिए स्कुल के बच्चे दशहरा पर निबंध लिख पाएं और दशहरा के बारे में अधिक जान सकें।

नीचे दिया गया दशहरा निबंध हिंदी में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयुक्त है।

दशहरा पर निबंध; विशेषताएँ

प्रस्तावना
विजयादशमी हिंदुओं का प्रसिद्ध पर्व है। यह प्रतिवर्ष अश्विन सुदी दशमी को मनाया जाता है। इस को दशहरा भी कहते हैं।

दशहरा पर्व क्यों मनाया जाता है?
हमारे देश में विजयादशमी पर्व का इतिहास बहुत पुराना है। वास्तव में यह ऋतु परिवर्तन की सूचना देने वाला पर्व है। यह पर्व बताता है, की वर्षा ऋतु बीत गई है और सुहावनी शरद ऋतु आ गई है। विजयादशमी पर्व के विषय में यह मान्यता है, कि इसी तिथि को श्री रामचंद्र जी ने राक्षस राज रावण को पराजित करके उसका वध किया था। इस प्रकार एक बड़े अन्याई से संसार को मुक्त करके उन्होंने धर्म और न्याय की प्रतिष्ठा की थी।

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दशहरा पर निबंध वर्णन
दशहरा का सबसे बड़ा आकर्षण रामलीला है। कोई भारतीय ऐसा नहीं होगा जिसने कभी ना कभी और कहीं ना कहीं रामलीला न देखि हो। यह भारत के अलावा भी अनेक देशों में प्रसिद्ध है। उन देशों में भी रामलीला के प्रदर्शन हर साल होते हैं। इस सिलसिले में इंडोनेशिया का नाम विशेष रुप से उल्लेखनीय है। हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार प्रसार है, कि छोटे – बड़े शहरों व नगरों के अतिरिक्त गांव में भी लोग बड़े उत्साह से इसका आयोजन करते हैं। नगरों में कई स्थानों पर एक साथ रामलीला होती है। राम जन्म, सीता स्वयंवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता हरण, हनुमान द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण मेघनाद युद्ध, आदि के दिन तो दर्शकों की अपार भीड़ रामलीला मंडप में दिखाई देती है। सचमुच रामलीला के दिनों की चहल – पहल देखने योग्य होती है। रात भर दर्शकों का ताता लगा रहता है।

दशहरा रामलीला का प्रदर्शन प्रायः
तुलसीदास जी के संसार प्रसिद्ध ग्रंथ रामचरित मानस के आधार पर होता है। मंच के एक ओर बैठे व्यास जी मानस की पंक्तियां गाते जाते हैं और उन्हीं के अनुसार पात्र अभिनय करके कथा आगे बढ़ाते हैं। अंतिम दिन की रामलीला रंगमंच पर ना होकर खुले मैदान में होती है। जहां राम – रावण युद्ध होता है और राम, रावण का वध करते हैं। उसके तुरंत बाद रावण का पुतला जलाया जाता है। इस पुतले को बनाने मैं कई दिन लगते हैं। विजयादशमी के दूसरे दिन भरत मिलाप का उत्सव मनाया जाता है। उस दिन का दृश्य बड़ा ह्रदय हारी होता है। नंगे पैरों भागते हुए भारत बड़े भाई राम के चरणों पर गिर पड़ते हैं। श्री राम अपने भाई को बीच में ही रोक कर उन्हें अपनी विशाल भुजाओं में ले लेते हैं। इस दृश्य को देखकर सभी की आंखें आंसुओं से भर जाती हैं। इसीलिए इसे भाईचरे और प्रेम भाव का भी प्रतीक माना जाता है। विजयदशमी पर सभी लीग एक दूसरे के घर जाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं और पान खाते हैं। आज के दिन सभी व्यक्ति एक दूसरे से दुश्मनी भुला कर मैत्री भाव रखते हैं।

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दशहरा निष्कर्ष
दशहरा का पर्व अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपनी कोई न कोई बुरी आदत को छोड़ने का प्रण लेना चाहिए। इसके माध्यम से हम, राम के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा लेते हैं। इसलिए कम से कम श्री राम के एक आदर्श को अपने जीवन में उतारने का प्रयास प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य करना चाहिए।

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