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भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ: विकास की रणनीति (Five Year Plan in India)

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पंचवर्षीय योजनाओं का इतिहास:

देश की अर्थव्यवस्था के दुबरा निर्माण के लिये नियोजन के विचार को वर्ष 1940 और वर्ष 1950 के दशक में पूरी दुनिया में जनसमर्थन मिला था। वर्ष 1944 में उद्योगपतियों का एक समूह जुड़ा जिसने भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था की स्थापना हेतु एक संयुक्त प्रस्ताव को तैयार किया। इसको ‘बॉम्बे प्लान’ का कहा जाता है। भारत की स्वतंत्रता के उपरांत ही नियोजित भारत के विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में देखा जाने लगा। जोसेफ स्टालिन पहले व्यक्ति थे जिसने सोवियत संघ में साल 1928 में पंचवर्षीय योजना को शुरू किया। भारत ने अपने देश की अर्थव्यवस्था के निर्माण और विकास को प्राप्त करने के लिये स्वाधीनता के बाद पंचवर्षीय योजनाओं (FYPs) की एक शृंखला को शुरू किया।

Five Year Plans Of India

पंचवर्षीय योजनाएँ

भारत की पहली पंचवर्षीय योजना 1951–1956

पंचवर्षीय योजना: जुलाई 1951 में , योजना ने पहली पंचवर्षीय योजना अप्रैल 1951 से मार्च 1951 तक का प्रारूप योजना आयोग द्वारा संसद में दिसंबर 1952 में पेश किया गया.

विशेषताएँ: पहली पंचवर्षीय योजना की संविधि में भारत के खाद्दान की कमी, शरणार्थी की समस्या, मुद्रास्फीति का दबाव जैसी समस्यायों का सामना करना पड़ा। इसके अतिरिक्त द्वितीय विश्व युद्ध तथा बंटवारे से भी विषमता उत्पन्न हो गयी थी। अनाज संकट के समाधान तथा मुद्रास्फीति के उन्मूलन के लिए कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई.

भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956-61

पंचवर्षीय योजना: दूसरी पंचवर्षीय योजना में आद्दोगिकीकरण पर विशेष बल दिया गया पी.सी. मेहल्बोनिस दूसरी पंचवर्षीय योजना के प्रणेता थे.

विशेषताएँ: अर्थव्यवस्था का आद्दोगिक आधार मजबूत करने को उचक प्राथमिकता दी गई आदोगिकीकरण को ध्यान में रखते हुए 1948 की अद्दोगिकी निति को पुन: परिभाषित किया और 1956 के ने प्रस्ताव को अपनाया गया इस योजना में सार्वजानिक क्षेत्र के विस्तार पर बल दिया गया तथा विकास के ऐसे ढांचे को बढावा देने का प्रयास किया जिससे देश में समाजवादी समाज का निर्माण हो।

भारत की तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961-66

पंचवर्षीय योजना: तीसरी पंचवर्षीय योजना का उदेश्य विकास की दिशा में निरंतर महत्वपूर्ण प्रगति करना था तीसरी पंचवर्षीय योजना की रिपोर्ट में कहा गया था की पंचवर्षीय योजना के दोरान , भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास तीव्र गति से हो तथा यह आत्मनिर्भर बने।

विशेषताएँ: वार्षिक योजनाये (Annual Plans Hindi) 1966-1969 के बिच की योजना को कभी कभी ‘प्लान हालीडे ‘ भी कहा जाता है भारत पाक युद्ध , लगातार दो वर्षो तक भयंकर सुखा , मुद्रा अवमूल्यन , मूल्यों में वृद्दि तथा संसाधनों के ह्रास जैसे कारणों से चोथी योजना को अंतिम रूप देने में विलम्ब हुआ इसलिय पंचवर्षीय योजना के स्थान पर चोथी पंचवर्षीय योजना के प्रारूप के अंतर्गत तिन वार्षिक योजनाये बनाई गई।

भारत की चोथी पंचवर्षीय योजना 1974-79

पंचवर्षीय योजना: पंचवर्षीय योजना उद्देश्यनिकुल सफल नहीं हो सकी इसलिय योजनाकारों ने अधिक व्यवहारवादी तरीका अपनाया.

विशेषताएँ: आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को त्यागा नहीं गया बल्कि अब योजना का उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास रखा गया यह महालबेनिस माडल से भिन्न था भरी उघोगो के खर्च पर हलके उघोगो तथा शीघ्र उत्पाद करने वाले उघोगो को वरीयता दी गई.

भारत की पांचवी पंचवर्षीय योजना 1974-79

विशेषताएँ: 70 के दशक के प्रारंभ में विश्व बैंक के अर्थशास्त्रियो ने महालबोनिस रणनीति पर तीव्र प्रहार किया उनका तर्क था की तीसरे विश्व की प्रमुख समस्या गरीबी उन्मूलन है तथा गरीबी के कारण निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता इसलिय निर्धनता उन्मूलन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

भारत की छठवीं पंचवर्षीय योजना 1980-85

विशेषताएँ: पंचवर्षीय योजना (1978-83) का प्रारूप 1978 में पेश किया गया था परन्तु जनवरी 1980 में सत्ता परिवर्तन के साथ योजना को समाप्त कर दिया गया अप्रैल 1980 से नै पंचवर्षीय योजना प्रभाव में आई योजना की आधारभूत कार्यनीति यह थी की कृषि और उघोगो दोनों ने आधारभूत ढांचे को एक साथ मजबूत किया जाए इसी प्रकार प्रबंध कुशलता बढाने, सभी क्षेत्रो की गतिविधिओ पर कड़ी नजर रखने , स्थानीय स्तर पर विकास की विशेष योजनाये बनाने की प्रक्रियायो में लोगो को सक्रीय रूप से सम्मिलित करने तथा इन योजनायो को शीघ्रता व् कुशलता से लागू करने पर बल दिया गया.

भारत की सातवीं पंचवर्षीय योजना 1985-90

पंचवर्षीय योजना: 9 नवम्बर 1985 को राष्ट्रिय विकास परिषद् ने सातवीं पंचवर्षीय योजना के प्रारूप को सहमती प्रदान की इसका निर्माण आगामी 15 वर्षो के परिप्रेक्ष्य में किया गया था.

विशेषताएँ: इसका उद्देश्य शताब्ती के अंत तक स्व-सम्पोसित विकास तथा सभी के लिए न्यूतम आवश्यकताओं की प्रति की आवश्यकता परिस्थियों का निर्माण करना था

भारत की आठवीं पंचवर्षीय योजना 1992-97

विशेषताएँ: आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) , 1990-91 में भुगतान संतुलन और मुद्रा स्फीति की बढती हुई स्थिति पर निरंत्रण के लिए तैयार की गई तथा ढांचागत समायोजन नीतियाँ और ब्रह्द स्थिरीकरण की नीतियों को प्रारंभ करने के तुरंत बाद लागू की गई इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आठवी पंचवर्षीय योजना में कुछ विकासात्मक कार्यक्रमों की पुन: रचना करनी पड़ी. इस बात को स्वीकार किया गया की गरीबी का समाधान केवल विकास से ही अहि किया जा सकता इसलिए गरीबी उन्मूलन के लिय प्रत्यक्ष हस्तक्षेप अनिवार्य हो गया था यह योजना केन्द्रित निरंत्रित अर्थव्यवस्था का बाजार निरंत्रित अर्थव्यवस्था के प्रबंधन की योजना थी.

भारत की नवमीं पंचवर्षीय योजना 1997-2002

विशेषताएँ: आठवी पंचवर्षीय योजना 1997 में समाप्त हुई नवीं पंचवर्षीय योजना का कार्यान्वन इसी वर्ष होना था परन्तु राजनितिक संकतो के कारण योजना के अनुमोदन तथा कार्यान्वयन में दो वर्ष का विलम्ब हुआ फरवरी 1999 में राष्ट्रिय विकास परिषद् ने योजना को अपनी अंतिम सहमति प्रदान की इस योजना का लक्ष्य सकल घरेलु उत्पाद में वार्षिक वृद्धि करना था हालाँकि अनुमोदन में दो वर्ष का समय लगा परन्तु यह योजना अपनी समय्विधि में पूरी हुई.

भारत की दसवीं पंचवर्षीय योजना 2002-2007

पंचवर्षीय योजना: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की अध्यक्ष्ता में राष्ट्रिय विकास परिषद् ने मतेक्य से दिसंबर 2002 में दसवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य प्रतिवर्ष 8% सकल घरेलु उत्पाद प्राप्त करने पर सहमति हुई.

विशेषताएँ: राष्ट्रिय विकास परिषद् ने निवेश तथा व्यापर की रुकावटों को हटाने के लिय चार उपसमितियों के गठन का निर्णय लिया जिसमे से एक शासकीय सुधर तथा सबसे अच्छी नीतियों और कार्यक्रम का निर्माण करके आची शासन व्यवस्था के कार्यान्वयन में आने वाली बाधायो को हटाने; दूसरी, आंतरिक व्यापर के गुण – दोषों के आधार पर रुकावटों को समझना तथा सर्वाधिक उचित कदमो को उठाना; तीसरी , भूतकाल में निवेश के मार्ग में आने वाली बाधायों तथा नियंत्रण को देखना तथा उन बाधायों को हटाना; चोथी , पंचायती राज संस्थायों के कार्यो के मार्ग में आने वाली बाधायों को हटाने से सम्बंधित कार्यवाही करेगी। राष्ट्रिय परिषद् ने आगामी वर्षो के लिए प्रधानमंत्री के प्राथमिक एजेंडे के निर्माण के सुझाव को स्वीकार किया।

भारत की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना 2007-2012

विशेषताएँ:

  • इसका उद्देश्य 2011-12 तक 18-23 वर्ष आयु वर्ग के उच्च शिक्षा में नामांकन में वृद्धि करना।
  • इसका उद्देश्य दूरस्थ शिक्षा, औपचारिक, अनौपचारिक, दूर और आईटी शिक्षा संस्थानों के अभिसरण पर केंद्रित था।
  • रैपिड और समावेशी विकास (गरीबी घटाना)
  • सामाजिक क्षेत्र और सेवा की डिलीवरी पर जोर।
  • शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सशक्तिकरण।
  • लिंग असमानता में कमी
  • पर्यावरणीय स्थिरता।
  • कृषि, उद्योग और सेवाओं में क्रमशः 4%, 10% और 9% की वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए।
  • कुल प्रजनन दर 2.1 को कम करें
  • 2009 तक सभी के लिए स्वच्छ पेयजल प्रदान करें।
  • कृषि विकास को 4% तक बढ़ाएं

भारत की बारहवीं पंचवर्षीय योजना 2012-2017

विशेषताएँ: भारत सरकार की 12 वीं पंचवर्षीय योजना में 8.2% की वृद्धि दर हासिल करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन 27 दिसंबर 2012 को राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने 12 वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 8% की वृद्धि दर को मंजूरी दी।

हमे उम्मीद है की आपको इस पोस्ट का अध्यन करके आपको सभी पंचवर्षीय योजनायों जैसे पहली, दूसरी, तीसरी , चोथी , पांचवी , छठवीं, आठवीं, नवमीं , दसवीं , सातवीं , ग्यारहवीं और बारहवीं पंचवर्षीय योजना के बारे में पूरी व् सटीक सामान्य ज्ञान जानकारी अच्छी तरह से समझ आ गयी होगी, यदि फिर भी कुछ ऐसा जो यहाँ प्रकाशित नहीं किया या कुछ इसमें सुधार करना हो तो कृपया हमने आप ईमेल के जरिये बताये.

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