अप्पिको आन्दोलन क्या है इसकी शुरुआत क्यों हुई और इसके क्या प्रभाव पड़े के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

Here you will find complete information about What is Appiko Movement Hindi?, the Objectives of Appiko Andolan, History of the Appiko Movement with exact details in Hindi.

अप्पिको आन्दोलन क्या है – What is Appiko Movement in Hindi

वनों और वृक्षों के सन्दर्भ में गडवाल हिमालय वासीओ का ‘चिपको आन्दोलन’ का योगदान सर्वविदित है इनसे भारत के अन्य भागो में भी अपना प्रभाव दिखाया उत्तर का यह चिपको आन्दोलन दक्षिण में ‘अप्पिको आन्दोलन‘ के रूप में उभरकर सामने आया| अप्पिको कन्नड़ भाषा का शब्द है जो कन्नड़ में चिपको का पर्याय है पर्यावरण सम्बन्धी जागरूकता का यह आन्दोलन अगस्त, 1983 में कर्णाटक के उत्तर कन्नड़ क्षेत्र में शुरू हुआ| यह आन्दोलन पुरे जोश से लगातार 38 दिन तक चलता रहा| युवा लोगो ने भी जब पाया की उनके गांवों के चारो और के जंगल धीरे धीरे गायब होते जा रहे है तो वे इस आन्दोलन में जोर शोर से लग गए लोगो ने पाया की कागज पर तो प्रति एकड़ दो पेड़ो की कटाई दिखाई जीत है लेकिन असल में काफी अधिक पेड़ काटे जाते है और की क्षतिग्रस्त कर दिय जाते है, जिससे वनों का सफाया होता जा रहा है|

अप्पिको आन्दोलन का इतिहास – History of Appiko Movement in Hindi

सितम्बर, 1983 में सलकानी तथा निकट के गांवो से युवा तथा महिलायों ने पास के जंगलो तक 5 मिल की यात्रा करके वहां के पेड़ो को गले लगाया| उन्होंने राज्य के वैन विभाग के आदेश से कट रहे पेड़ो की कटाई रुकवाई| लोगो ने हरे पेड़ो को कटाने पर प्रतिबन्ध की मांग की| उन्होंने अपनी आवाज बुलंद कर कहा की हम व्यापारिक प्रयोजनों के लिए पेड़ो को बिलकुल भी नहीं काटने देंगे और पदों पर छिपकर हठधर्मिता अपना कर बोले की पेड़ काटने है तो पहले हमारे ऊपर कुल्हाड़ी चलायो| वे पेड़ो की कटाई रुकवाने का आदेश देने के लिए मजबूर किया यह आन्दोलन इतना लोकप्रिय हो गया की पेड़ काटने आये मजदूर भी पेड़ो की कटाई छोड़कर चले गए|

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अहिंसा के इस आन्दोलन ने अन्य स्थानों के लोगो को भी आकर्षित किया| अक्टूबर में यह आन्दोलन बेनगाँव के आदिवासी आबादी क्षेत्र में फेल गया| यहाँ लोगो ने देखा की बांस के पेड़ जिनसे वे रोजमर्रा के जीवन की अनेक उपयोगी चीजें टोकरी, चटाई, घर का निर्माण करते है कोन्त्रक्ट्रो की अंधाधुंध कटाई के कारण लुप्त होते जा रहे है| इस बार आदिवासी लोगो ने पदों की रक्षा के लिए उन्हें गले से लगाया | इस आन्दोलन से प्रेरित होकर हरसी गाँव में कई हजार पुरुषो और महिलायों ने पदों के व्यावसायिक कार्यो के लिए काटे जाने का विरोध किया | जहाँ सरकार व्यावसायिक पेड़ो को उगाने पर जोर देती थी लोगो ने उन पेड़ो को उगाने की बात की जो उन्हें इंधन तथा उनकी रोजमर्रा की जरुरतो की पूर्ति करते थे|

नवम्बर में यह आन्दोलन निद्गोड़ (सिददापुर तालुक) तक फेल गया जहाँ ३०० लोगो के इकठ्ठा होकर पेड़ो को गिराए जाने की प्रक्रिया को रोककर सफलता प्राप्त की | लोगो ने पाया की जहा तहां चोरी छिपे पेड़ो की कटाई और वन्संहर होता रहता है | मिसाल के तोर पर सिददपुर तालुक के केलगिरी जद्दी वन में प्लाईवुड फेक्ट्री वालो ने 51 पेड़ काट गिराए तथा इस कटाई के दोरान 547 अन्य पेड़ो को नुकसान पहुंचा | इस क्षेत्र में दूसरी समस्या यह थी की वनों को एक ही जाती के वनों में रूपांतरित किया जा रहा था | मधुमक्खी के छत्ते गायब हो गए थे | हर परिवार वाले पहले विभिन्न प्रकार के पेड़ो से प्रति वर्ष कम से कम चार टिन शेहद इकठ्ठा कर लेते थे लेकिन उघोगो के लिए अन्य पेड़ो को काटकर यूकिलिप्टस के पेड़ लगाने से अब वे शेहद आदि से वंचित हो गए है इस प्रकार कई अन्य समस्याए उठ कड़ी हो गयी जिनसे लोगो की परेशानियाँ हर तरह से बाद गई थी|

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अप्पिको आन्दोलन के उद्देश – Objectives of Appiko Movement in Hindi

अप्पिको आन्दोलन दक्षिणी भारत में पर्यावरण चेतना का श्रोत बना | इसने इस बात को उजागर किया की किस प्रकार वन विभाग की नीतियों से व्यापारिक वृक्षों को बढावा दिया जा रहा है जो आम आदमी को देनिक जीवन में उपभोग होने वाले कई आवश्यक संसाधनों से वंचित कर रहा है | उसने उन ठेकेदार के व्यावसायिक हितों के लालच का पर्दाफाश किया जो वन विभाग द्वारा निर्धारित संख्या से अधिक पेड़ काटते थे | इसने इस प्रक्रिया में लिप्त ठेकेदार , वन विभाग तथा राजनीतिज्ञों की संत – गांठ का भी पर्दाफांश किया|

अप्पिको आन्दोलन अपने तीन प्रमुख उद्देश्यों में सफल रहा|
(1) मौजूदा वन क्षत्रो का संरक्षण करने,
(2) खाली भूमि पर वृक्षारोपण करने, तथा
(3) प्राकर्तिक संसाधनों को ध्यान में रख कर उनका सदुपयोग करने|

इन उद्देश्यों को हासिल करने में स्थानीय स्तर पर स्थापित एक लोकप्रिय संगठन ‘परिसर संरक्षण केंद्र‘ ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की | अप्पिको आन्दोलन ने लोगो के जीवन में उपयोग की जाने वाली चीजो की रक्षा की जैसे – बांस के वृक्ष, जिनका उपयोग हस्तशिल्प की वस्तुओ के बनाने में होता है तथा जिन को बेचकर स्थानीय लोग अपनी आजीविका चलाते है | इस आन्दोलन ने पश्चिमी घाट के सभी गांवो में व्यापारिक हितो से उनकी आजीविका के साधन, जंगलो तथा पर्यावरण को होने वाले खतरे से सचेत किया| अप्पिको आन्दोलन ने शांतिपूर्ण तरीके से घंधिवादी मार्ग पर चलते ही एक ऐसे पोषणकारी समाज के लिए लोगो का पथ प्रदर्शन किया जिसमे न कोई मनुष्य का और न ही प्रकृति का शोषण कर सकते | वंदना शिवा के शब्दों में “यह मानव अस्तित्व के खतरे को रोकने में सभ्य समाज का सभ्य उत्तर था”|

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हमे उम्मीद है की आपको इस पोस्ट का अध्यन करके आपको सभी अप्पिको आन्दोलन के बारे में  जैसे, अप्पिको आन्दोलन क्या है ? अप्पिको आन्दोलन का उद्देश्य , अप्पिको आन्दोलन के परिणाम, अप्पिको आन्दोलन कब और क्यूँ ? पूरी व् सटीक सामान्य ज्ञान जानकारी अच्छी तरह से समझ आ गयी होगी, यदि फिर भी कुछ ऐसा जो यहाँ प्रकाशित नहीं किया या कुछ इसमें सुधार करना हो तो कृपया हमने आप ईमेल के जरिये बताये.

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