पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कुछ ऐतिहासिक फैसले

Former Chief Justice Dipak Mishra Historical Decisions

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा अपने पद से सेवानिवृत हो गए है उनकी जगह जस्टिस रंजन गोगोई ने 46वें मुख्य न्यायाधीश के तोर पर पदभार ग्रहण किया है उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में मुख्य न्यायाधीश के शपथ दिलाई है, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा अपने कार्यकाल के दौरान भारत की संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुये बहुत से समावेशी और ऐतिहासिक फैसले सुनाये है उनके नेतृत्व सविधान पीठ ने गरिमा के साथ जीवन गुजारने, वैयक्तिक आजादी, समता और निजता के अधिकारों की रक्षा करने और कानून के प्रावधानों से लैंगिक भेदभाव को दूर करने के फैसला लिया गया है

पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को अपने कार्यकाल के दौरान कई चुनौतियों का सामना करने पड़ा.

1. दीपक मिश्रा पहले ऐसे न्यायाधीश थे जिन्हें पद से हटाने के लिये राज्यसभा में सांसदों ने सभापति एम. वेंकैया नायडू को याचिका दी थी, लेकिन फैसला दीपक मिश्रा के पक्ष में गया था.

2. 12 जनवरी 2018 को शीर्ष अदालत के चार न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (अब मुख्य न्यायाधीश), न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने प्रेस कांफ्रेंस में उनके कार्य करने के तरीको पर सवाल उठाये थे.

इन सब चुनौतियों के बाद भी पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा निर्बाध रूप से अपना कार्य करते रहे, और अपने अन्तिम समय में उन्होंने बहुत से ऐतिहासिक फैसले लिए जिनकी सहजता से कल्पना नहीं की जा सकती.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कुछ ऐतिहासिक फैसले:

1. पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को ख़त्म करते हुए दो वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया.

2. दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने धारा 497 को खारिज करते हुए कहा की अब एडल्ट्री अपराध नहीं है.

3. पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रवेश वर्जित को असंवैधानिक घोषित किया और इस मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने के अनुमति दी.

4. आधार कार्ड पर फैसला सुनाते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना को संवैधानिक करार देते हुए सिर्फ पैन कार्ड और आयकर रिटर्न के लिये आधार कार्ड का इस्तेमाल जरूरी रखा है. और बैंक खातों और मोबाइल कनेक्शन के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है.

5. दहेज प्रताड़ना मामले पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा है की आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी पर से रोक हटा दी है अगर महिला अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए के तहत केस दर्ज कराती है तो तुरतं गिरफ्तारी हो सकती है.

6. पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने फैसला लेते हुए कहा है अगर किसी नेता पर पांच साल या उससे ज्यादा सजा का आरोप है तो वह उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकता और कानून बनाने का काम संसद के ऊपर छोड़ दिया.

7. पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका ख़ारिज करते हुए पेशे से वकील जनप्रतिनिधियों के देशभर की अदालतों में प्रैक्टिस करने पर कोई पाबंदी नहीं लगेगी.

8. पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी-एसटी) के सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने से इनकार कर दिया. लेकिन कोर्ट ने कहा है राज्य सरकारों को अधिकार है वह चाहे तो प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है.

10. पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अदालतों की कार्यवाही के लिए सीधा प्रसारण यानि लाइव टेलीकास्ट को मंजूरी दे दी, इसके मुताबिक सभी कोर्ट में न्यायाधीश फैसला भी लाइव टेलीकास्ट के दौरान फैसला सुनाएगा

11. पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राम मंदिर पर फैसला सुनाते हुए कहा है की अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सिर्फ मालिकाना हक के वाद के रूप में ही विचार करने और तमाम हस्तक्षेपकर्ताओं को दरकिनार करने का निश्चय करके यह सुनिश्चित किया.

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