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सिंधु घाटी सभ्यता का सामान्य ज्ञान हिंदी में – Indus Valley Civilization in Hindi

Indus Valley Civilization General Knowledge in Hindi –
सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास हिंदी में

प्रिये मित्रों, यह भाग आपको सिंधु घाटी सभ्यता जुडी बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां (Indus Valley Civilization gk in HIndi) प्राप्त कराएगा, इस भाग में आप सिंधु घाटी सभ्यता से जुडी रोचक एवं सामान्य ज्ञान (Indus Valley Civilization Important Facts in Hindi) जानकारी पढ़ सकते हो. यह आपको प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए पश्न को हल करने में मदद करेगा. तो चलिय शुरुआत करते है Indus Valley Civilization के बारे में संक्षित जानकारी हिंदी.

सिंधु घाटी सभ्यता मे भौगोलिक विस्तार एवं कलाकर्म – Geographical expansion and artwork

प्राचीन सभ्यताओं में क्षेत्रफल की दृष्टि से कांस्ययुगीन, आघ एतिहासिक कालीन सिन्धु घाटी सभ्यता का विस्तार सबसे अधिक था. यह सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम नगरीय क्रान्ति की अवस्था को दर्शाती है. यह सभ्यता उत्तर में जम्मू के मांडा से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने पर स्थित दैमाबाद तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान तट पर स्थित सुत्कागेंडोर से लेकर पूर्व में उत्तर प्रदेश के आलमगीरपुर तक फैली हुई थी?

समूचा क्षेत्र त्रिभुज्कार है, जिसका क्षेत्रफल लगभग, 1299600 वर्ग किमी है, जो प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता से बड़ा है| रेडियो कार्बन (C-14) पद्धति के आगार पर इसका काल 2350 ई. पू. से 1750 ई. पू. के बीच निर्धारित किया गया है.

सर्वप्रथम चार्ल्स मैसन ने 1826 ई. में हड़प्पा सभ्यता की जानकारी दी. वर्ष 1991 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्सल के निर्देशन में इस स्थल का ज्ञान हुआ सर्वप्रथम हड़प्पा की खोज के कारण इसका नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा.

सिन्धु घाटी सभ्यता के इर्मताओं का निर्धारण करने का महत्वपूर्ण स्त्रोत कंकाल है. सर्वाधिक कंकाल मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए है| कंकालों के परिक्षण से यह निर्धारित हुआ है की सिन्धु सभ्यता में चार प्रजातियाँ निवास करती थी- भूमध्यसागरीय, ऑस्ट्रेलाएड, अल्पाइन तथा मंगोलायडा सबसे जयादा भूमध्यसागरीय प्रजाति के लोग थे.

सिंधु घाटी सभ्यता मे राजनीतिक स्थिति – Political situation

  • डॉ. रामशरण के अनुसार, सिन्धु सभ्यता के लोगों ने सबसे अधिक ध्यान वाणिज्य और व्यापार किआ और दिया. अत: हड़प्पा का शासन संभवत: वाणिक वर्गों के हाथो में था.
  • इतिहासकार हन्टर के अनुसार वहां के शासन व्यवस्था जनतांत्रिक पद्धति से चलती थी| मइके के अनुसार, हड़प्पा सभ्यता में जनप्रतिनिधि का शासन था. स्टुअर्ट पिग्गट ने इस सभ्यता की जुड़वां राजधानियों हड़प्पा और मोहनजोदड़ों के होने का अनुमान लगाया है.

सिंधु घाटी सभ्यता मे सामाजिक स्थिति – social status

समाज की इकाई परंपरागत तौर पर परिवार थी. मातृदेवी की पूजा और मुहरों पर अंकित चित्र से यह परिलक्षित होता है की सैन्धव समाज संभवत: मातृदेवी या मातृसत्तात्मक था. सैन्धव समाज संभवत: अनेक वर्गों, जैसे-पुरोहित, व्यापारी, अधिकारी, शिल्पी, जुलाहें एवं श्रमिक में विभाजित थे| व्यापारी वर्ग सबसे प्रभावशाली था| योद्धा वर्ग के अस्तित्व का साक्ष्य नहीं मिला है, लेकिन सम्भवत: सभ्यता में दास-प्रथा का प्रचलन था.

इस सभ्यता के निवासी खाने-पीने, वस्त्र एवं आभूषण के शोकिन थे| सम्भवत: वे शाकारी एवं मांसाहारी दोनों थे. आभूषण सोने, चांदी और माणिक्य के बनाए जाते थे. गरीब लोग सम्भवत: शंख, सीप, और मिटटी के बने हुए आभूषण पहनते थे. हाथी दांत तथा शंख का उपयोग अलंकरण तथा चूड़ियाँ बनाने के लिए किया जाता थे. आभूषणों का प्रयोग पुरुष और महिलाएं दोनों करते थे|

तीन प्रकास के शावाधन-पूर्ण, आंशिक, एवं डाह संस्कार का प्रमाण मिलता है. लोथल से तीन युगल शावाधान तथा कालीबंगा से एक युगल श्वाधन मिलने से विधानों ने यहाँ सटी प्रथा के प्रचलन का अनुमान लगाया है.

सिंधु घाटी सभ्यता मे आर्थिक जीवन – Economic life

  • हड़प्पा सभ्यता में उपजाए जाने वाली नौ फसलों को अब तक पहचान हुई है. गेंहू, जौ के अतिरिक्त कपास, तरबूज तथा मटर भी उपजाए जाते थे.
  • कपास को यूनानों लोग सिंडॉन कहते था, क्यूंकि इसके उपज की पहली जानकारी सिन्धु सभ्यता से प्राप्त हुई है.
  • कृषि में हल का प्रयोग खेतो की जुताई के लिए किया जाता था.
  • सिन्धु सभ्यता में कोई फावड़ा या फाल नहीं मिला है. परन्तु कालीबंगा में हड़प्पा-पूर्व अवस्था के हल रेखा से ज्ञात होता है. की हड़प्पा काल में राजस्थान के खेतों को हेलॉन से जोटा जाता था, जो सम्भवत: लकड़ी के होते थे.
  • व्यवस्थित सिंचाई का प्रमाण नहीं मिला है, किन्तु जल-संग्रह के लिए बांधों के निर्माण का साक्ष्य घौलावीरा से प्राप्त हुआ है.
  • धातुकर्म की जानकारी हड़प्पा सभ्यता के लोगो को थी. तानाबा तथा टिन मिश्रण से कांस्य निर्माण की प्राविधि उन्हें ज्ञात थी| बंद ढलाई तथा लुप्त माँ प्रक्रिया से धातुओं से वस्तुएं बनाई जाती थी.
  • माप-तौल के मानकीकरण को स्थापित किया गया था| फूट तथा क्यूबिक की जानकारी लोगों को थी. माप के लिए दशमलव प्रणाली तथा तौल के लिए द्वि-भाजन प्रणाली के साक्ष्य विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुए है लौथल से हाथीदांत का एक पैमाना मिला है.
  • मुहरों पर चित्रित जहाजों के डिजाईन है. लौथल से गोदीवाडा का साक्ष्य, फारस की मुगरें ब्राह्रा व्यापार का संकेत देती है. कालीबंगा से मेसोपोटामिया की बेलनाकार मुहरें भी प्राप्त हुई है| अधिकाँश मुहरें सेलखड़ी की बनी थी.
  • मेसोपोटामिया के साक्ष्यों से हड़प्पा स्थलों के लिए मेलुहा शब्द प्रवुक्त हुआ है| इन स्थलों का ब्राह्रा व्यापार फारस की खाड़ी, मेसोपोटामिया अफगानिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान से भी होता था.
  • हड़प्पा सभ्यता में वास्तु विनिमय प्रणाली प्रचलित थी| तौल की इकाई सम्भवत: 16 के अनुपात में थी.
  • कृषि तथा वाणिज्य-व्यापर के अतिरिक्त , बढईगिरी शिल्प कर्म, आभषण निर्माण, चक पर मिटटी के बर्तन बनाना जैसी व्यावसायिक पद्धतियाँ भी हड़प्पा सभ्यता स्थलों में प्रचलित थी.
  • खुदाई में प्राप्त कताई-जुताई के उपकारों (तकली, सुई आदि) से पता चलता है की कपड़ा बुनना एक प्रमुख उघोग था.

सिंधु घाटी सभ्यता मे नगर योजना – Town planning

  • सिन्धु घटी सभ्यता की सर्वप्रथम विशेषता उसकी नगर योजना एवं जल निकाल प्रणाली है. सड़क एक-दुसरे को समकोण पर काटती थी. प्रत्येक नगर दो भागों में विभक्त थे-पश्चिमी टीले और पूर्वी टीले. पश्चिमी टीले अपेक्षकृत ऊँचे, किन्तु छोटे होते थे. ईद टीलों पर किले अथवा दुर्ग स्थित थे| इसे नगर दुर्ग कहा जाता था.
  • पूर्वी टीले या निचले नगर पर नगर या आवास क्षेत्र के साक्ष्य मिले है, जो अपेक्षकृत बड़े थे| इसमें सामान्य नागरिक, व्यापारी, शिल्पकार, कारीगर और श्रमिक रहते थे| दुर्ग के अन्दर मुख्यत महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सार्वजनिक भवन तथा अन्नागार स्थित थे.
  • सामान्यत: पश्चिमी टीला एक रक्षा प्राचीर से धीर होता था, जबकि पूर्वी टीला नहीं. अपवादस्वरूप कालीबंगा का नगर क्षेत्र (पूर्वी टीला) भी रक्षा प्राचीर से युक्त था. लोथल और सुरकोटडा में अलग अलग दो टीले नहीं मिले है, बल्कि सम्पूर्ण क्षेत्र एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे, जबकि चन्हुदड़ों एक्मार ऐसा नगर है, जो दुर्गिकृत अहि था घौलाविरा का नगर तीन इकाइयों में बंटा था.
  • घरों के दरवाजे एवं खिड़कियाँ मुख्य सड़क में न खुलकर गलियों में खुलते थे, परन्तु लोथल इसका अपवाद है, जहाँ के दरवाजे एवं खिड़कियाँ मुख्य सड़कों की और खुलते थे.
  • सड़कों के दोनों और नालियों के निर्माण के लिए पक्की इंटों का प्रयोग किया गया था| घरों का पानी बहकर सकदों तक आता था. जहाँ इनके निचे मोरियाँ बनी हुई थी. ये मोरियाँ इंटों और पत्थर की सिल्लियों से ढंकी रहती थी. इन मोरियों में नरमोखे (मेनहोल) भी बने थे. इस सभ्यता के लोग जुड़ाई के लिए मिटटी के गरे तथा जिप्सम के मिश्रण का उपयोग करते थे.
  • सेन्धाव सभ्यता में बड़े बड़े भवन मिले है, जिनमें स्नानागार, अन्नागार, सभा भवन, पुरोहित आवास आदि प्रमुख है. मोहनजोदड़ो का सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार है, जबकि अन्नागार सिन्धु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है.
  • सिन्धु सभ्यता एक पूर्ण विकसित सभ्यता का प्रतीधित्व करती है, जिसकी प्रधान विशेषता नगरीकरण है.

सिंधु घाटी सभ्यता मे धार्मिक स्थिति – Religious status

  • सिन्धु सभ्यता के लोग मानव, पशु तथा वृक्ष तीनों रूपों में इश्वर की उपासना करते थे. इसके धार्मिक दृष्टिकोण का आधार इहलौकिक तथा व्यवहारिक अधिक था. इस सभ्यता के लोग भुत-प्रेत, तंत्र-मन्त्र आदि में विशवास करते थे| बड़ी संख्या में ताबीजों की प्राप्ति से उनके अंधविश्वासों का पता चलता है. भक्ति एवं परलोक की जैसी अवधारणा इस सभ्यता के धार्मिक जीवन के अंग थे. वे यज्ञ से परिचित थे तथा पुनर्जन्म में विशवास करते थे| कालीबंगा से अग्निवेदिका का साक्ष्य प्राप्त हुआ है. इस सभ्यता में कही से किसी मंदिर का अवशेष नहीं मिला है.
  • मातृदेवी की उपासना, पशुपति शिव की उपासना, लिंग एवं योनी पूजा, नाग पूजा, वृक्ष पूजा, पशु पूजा, अग्नि पूजा, जल पूजा आदि का प्रचलन था. स्वस्तिक एवं चक्र के साक्ष्य सूर्य पूजा के प्रतिक है. हड़प्पा के प्राप्त एक मुर्तिका में स्त्री के गर्भ से निकलता एक पोधा दिखाया गया है.
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पर पदमासन मुद्रा में एक तीन मुख वाला पुरुष ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ था. जिसके सर पर तीन सिंह है. इसके बाएँ और गैंडा एवं भेंसा तथा दाईं और हाथी एवं बाघ है| शासन के निचे दो हिरन बैठ हुए है. इसे पशुपति शिव का रूप माना गया है.

सिंधु घाटी सभ्यता मे लिपि तथा लेखन कला – Script and writing art

  • सैन्धवकालीन मुहरों से लिपि तथा धर्म की जानकारी मिलती है.
  • सिन्धु लिपि (हड़प्पा सभ्यता में प्रचलित लिपि) चित्राक्षर लिपि है, जसमें चित्रों के माध्यम से सम्प्रेषण का प्रयास हुआ है. इस लिपि को पढने में अभी तक सफलता नहीं पाई जा सकी है.
  • इस सिन्धु लिपि में 64 मूल चिन्ह तथा 250 से 400 तक चित्राक्षर है| इनका अंकन सेलखड़ी की आयाताकार मुहरों, ताम्र की गुतिकाओं इत्यादि पर हुआ है.
  • लिखवात प्राय: दाई से बाई और है| इसे बोस्ट्रोफेडन लिपि भी कहा जाता है.
  • लिपि में सबसे ज्यादा प्रयोग U अकार का तथा सबसे ज्यादा प्रचलित चिन्ह मछली का है.
  • हड़प्पा लिपि का सबसे पुराना नमूना 1853 में मिला था और 1923 ई. तक पूरी लिपि प्रकास में आ गई. किन्तु अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है.

सिंधु घाटी सभ्यता मे पतन के कारण – Due to collapse

1800 ई.पू. के आसपास हड़प्पा सभ्यता बिखर गई. विद्धानो ने इसके पटक के कई करान बताएं है.

  • आर्यों का आक्रमण – मार्टिमर डीलर, स्टुअर्ट पिग्गट, गार्डन चाइल्स
  • बाढ़ – मार्शल, मैके, एसआरराव
  • जलवायु परिवर्तन – अरेल स्टाईन , एएन घोष
  • जलप्लावन-एमआर साहनी
  • महामारी, बिमारी-केयुआर केनेडी
  • पारिस्थितिक असंतुलन-फेयर सर्विस

हमने उम्मीद है उपर दी गई सिंधु घाटी सभ्यता से जुडी रोचक जानकारियाँ (Indus Valley Civilization General Knowledge in Hindi) आपने पूरी पढ़ी होगी. यदि सिंधु घाटी सभ्यता के विषय पर आपका कोई सवाल है तो कृपया करके हमने कमेंट के जरिये बताएं आपके द्वारा पूछे गए सिंधु घाटी सभ्यता सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर हम आप जल्द देने की कोशिश करेंग.

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