जानें क्या होता है जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद)?

जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अंग्रेजी में GDP (Gross domestic product) का सम्बन्ध किसी देश की अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का बुनियादी लेखा से है, जीडीपी को सरल शब्दों में समझें तो यह देश द्वारा निर्मित सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक व् बाजार मूल्य को GDP कहते है. GDP देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का पता चलता है. GDP की गणना सामान्य तौर पर वार्षिक होती है परन्तु भारत में इसे वर्ष के हर तीसरे माह में या तिमाही में तय आँका जाता है.

क्या है GDP?

जीडीपी यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट में किसी देश के आर्थिक विकास का मापन किया जा सकता है जीडीपी के द्वारा समझा जा सकता है की देश की सीमा की अन्दर उत्पादित वस्तु और सेवा का बाजार मूल्य कितना है इनका मूल्य अधिक होने पर देश में बाहरी मुद्रा आएगी जिससे देश की आर्थिक गति में मजबूती हो सकेगी और यदि इनके मूल्य में गिरावट आती है तो देश की आर्थिक स्थिति में गिरावट का अनुमान लगाया जा सकता है.

कुछ वर्ष पहले GDP में शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर जैसी सेवाओं को भी जगह दी गई. यदि देश की GDP में उन्नति दिखे तो इससे देश की अर्थव्यवस्था का अनुमान लगया जा सका है और यदि जीडीपी के स्तर में गिरावट हो तो देश की अर्थव्यस्था को कमजोर माना जाता है देश की जीडीपी में उछाल और गिराव का दोष देश की सरकार को ठहराया जाता है क्युकी सरकार ही देश की आर्थिक निति का निर्धारण करती है.

वर्ष 1935-44 के दौरान सर्वप्रथम जीडीपी का प्रयोग अमेरिका के अर्थशास्त्री साइमन द्वारा किया गया था, इस समय विश्व की की बड़ी-बड़ी बैंक शाखाएँ देश की आर्थिक उन्नति को मापने का कार्य कर रही थी लेकिन उस समय ऐसा कोई मापतंत्र या पैरामीटर नहीं बना था जिसकी सहायता से देश की आर्थिक विकास को समझा कर अन्य को समझाया जा सकते.

अमेरिका में बैठित कांगेस संसद में अर्थशास्त्री साइमन ने जीडीपी शब्द का प्रयोग किया जिनके पक्ष में अधिकांश सहमत हुए जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जीडीपी शब्द का प्रयोग करना प्रारंभ कर दिया था अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बाद अन्य सभी देशों ने भी अपनी देश की आर्थिक विकास के मापन के लिए इस शब्द का उपयोग करना शुरू कर दिया.

देश की GDP निकालने के लिए इस माप सूत्र का प्रयोग किया जा सकता है.

सकल घरेलू उत्पाद = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात-आयात) जीडीपी डिफ्लेटर (अपस्फीतिकारक) बहुत ही जरूरी है.

GDP (कुल घरेलू उत्पाद) = उपभोग (Consumption) + कुल निवेश
GDP = C + I + G + (X − M)

इस सूत्र के प्रयोग से मुद्रास्फीति को मापा जाता है जिसमें वास्तविक जीडीपी में से अवास्तविक (नामिक) जीडीपी को विभाजित करके 100 से गुणा किया जाता है.

जीडीपी के प्रकार

जीडीपी दो प्रकार की होती है वास्तविक जीडीपी और अवास्तविक जीडीपी, वास्तविक जीडीपी में देश की जीडीपी का माप निकलने के लिए एक आधार वर्ष का निर्धारण किया जाता है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य समान माना जाता है, भारत की अर्थव्यस्था में यह आधार वर्ष 2011-12 माना गया है| अवास्तविक जीडीपी में वर्तमान बाजार मूल्य को आधार माना गया है इस मूल्य के आधार पर ही जीडीपी का अध्ययन किया जाता है.

GDP की गणना

देश की GDP की गणना तिमाही-दर-तिमाही होती है भारत में मुख्य तौर पर कृषि, उद्योग एवं सेवाएं जीडीपी के तीन मुख्य हिस्से है इनके लिए देश में जितना भी उपभोग होता है, जितना भी प्रोडक्शन होता है, व्यवसाय में जितना निवेश होता है और सरकार देश के अंदर जितनी पूंजी खर्च करती है उसे जोड़ दिया जाता है. इसके अलवा कुल निर्यात में से कुल आयात को घटा दिया जाता है इसके बाद जो आंकड़ा सामने आता है उसे भी ऊपर किए गए खर्च में जोड़ दिया जाता है यही हमारे देश की जीडीपी होती है.

आम जनता पर GDP का प्रभाव

जीडीपी में गिरावट की मार सबसे ज्यादा देश के गरीब व्यक्तियों पर पड़ती है, इसके कारण व्यक्तियों को औसत आय में भी गिरावट आती है और रोजगार के नए अवसरों की रफ़्तार भी धीमी पड़ जाती है.

प्रातिक्रिया दे0

Your email address will not be published. Required fields are marked *