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National Movement for Indian Freedom from 1857 to 1942 in Hindi

National Movements in India in Hindi – भारत की आजादी एवं विकास के लिए भारत के स्वतंत्रता सेनानी एवं देश के मुख्य नेताओं ने कई महत्वपूर्ण राष्ट्रिय आन्दोलन किए जिनका मकसद भारत को आजादी एवं देश की जनता को गुलामी से स्वतंत्रता दिलाना. भारत कई वर्षो तक बिर्टिश शासन का गुलाम रहा और इनसे निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण राष्ट्रिय आन्दोलन हुए जिनका नेतृत्व देश के राजनेताओं, क्रांतिकारियों तथा समाजसेवकों द्वारा किया गया. भारत के आजादी में इन आंदोलनों में बहुत अहम भूमिका निभाई है.

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों (1857 से 1947) – National Movement in India (1857 to 1947)

वर्षभारतीय आन्दोलन
18571857 का विद्रोह
1885भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
1905स्वदेशी आन्दोलन (बंग-भंग आन्दोलन)
1906मुस्लिम लीग की स्थापना
1913ग़दर आंदोलन
अप्रैल 1916होम रूल आंदोलन
1917चंपारण सत्याग्रह
1918खेड़ा सत्याग्रह
1918अहमदाबाद मिल हड़ताल
1919रॉलेट एक्ट सत्याग्रह
1920खिलाफ़त आन्दोलन
1920असहयोग आंदोलन
1928बारदोली सत्याग्रह
1930नमक सत्याग्रह (डांडी मार्च)
1930सविनय अवज्ञा आंदोलन
1942भारत छोड़ो आंदोलन

1857 का विद्रोह (Revolt of 1857)

भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम युद्ध 1857 जिसे 1857 के विद्रोह के नाम से जाना जाता है, यह विद्रोह बिर्टिश शासन के खिलाफ थे जोकि एक व्यापक युद्ध था। लेकिन असफल रहा. 1857 के विद्रोह के दौरान चार्ल्स जॉन कैनिंग भारत का राजनेता और गवर्नर जनरल था। वर्ष 1858 में वह भारत का पहला वायसराय बना। 1857 विद्रोह के मुख्य केन्द्रों में कानपुर, लखनऊ, बरेली, झाँसी, ग्वालियर और बिहार के आरा ज़िले शामिल थे यह विद्रोह पटना से लेकर राजस्थान की सीमाओं तक फैला हुआ था। यह विद्रोह 1 वर्ष से अधिक समय तक चला परन्तु 1858 के मध्य तक इस विद्रोह को दबा दिया गया था.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

28 दिसंबर,1885 को मुंबई बंबई में की गई थी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एलन ऑक्टोवियन ह्युम नामक एक ब्रिटिश अधिकारी ने भारतीय नेताओं के सहयोग द्वारा की थी. व्योमेश चंद्र बनर्जी ने कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता की थी उस समय मात्र 72 प्रतिनिधियों ने इस अधिवेशन में भाग लिया था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) नाम दादा भाई नौरोजी ने कहने पर रखा गया था. इसकी स्थापना पर के समय गवर्नर जनरल लॉर्ड डफरिन थे और भारत के सचिव लॉर्ड क्रॉस थे.

स्वदेशी आन्दोलन

स्वदेशी का अर्थ है अपने देश या मुल्क का. स्वदेशी आन्दोलन का मकसद था की ब्रिटेन से बने माल का बहिस्कार करना एवं देश में बने माल को अधिक प्राथमिकता देना जिसका उद्देश्य था की ब्रिटेन को आर्थिक रूप से हानि पहुँचाना व भारत के व्यक्तियों को रोजगार के अवसर पैदा करना था.

मुस्लिम लीग की स्थापना

वर्ष 1903 ईस्वी में लार्ड कर्ज़न ने बंगाल विभाजन की घोषणा की थी. मुस्लिम लीग की स्थापना का इतिहास वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन से जुड़ा हुआ है. ढाका के नवाब आगा खान और नवाब ख्वाजा सलीमउल्लाह के नेतृत्व में 30 दिसंबर, 1906 को ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का गठन किया गया था. मुस्लिम लीग के संस्थापक मुख्य सदस्य मुहम्मद अली जिन्ना, आगा खान III, ख्वाजा सलीमुल्लाह, वकार-उल-मुल्की, हकीम अजमल खान आदि थे.

ग़दर आंदोलन

भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश के खिलाफ किया गया यह एक आन्दोलन थे. वर्ष 1913 में भारत को ब्रिटिश राज से आजाद कराने के लिए के लिए पंजाबी भारतीयों के समूह एक योजना बनाई थी जिसे इतिहास में ग़दर आंदोलन के नाम से जाना गया. लाला हरदयाल, बाबा हरनाम सिंह, गुरदीत्त सिंह और बाबा सोहन सिंह भकना इस आन्दोलन से जुड़े हुए थे.

होम रूल आंदोलन

अप्रैल और सितंबर 1916 में होम रूल लीग का गठन बाल गंगाधर तिलक एनी बेसेंट द्वारा किया गया था। होमरूल आन्दोलन का उद्देश्य था की भारत को स्वशासन प्राप्त कराना, अंग्रेजो को भारत से बहार निकलना व ब्रिटिश गुलामी से देश को स्वतंत्र बनाना था. 20 अगस्त, 1917 ई. को एनी बेसेंट ने ‘होमरूल लीग’ को समाप्त करने की घोषणा की।

चंपारण सत्याग्रह

महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में वर्ष 1917 में बिहार के चम्पारण जिले एक सत्याग्रह हुआ. जिसे चंपारण सत्याग्रह का नाम दिया गया था. चम्पारण जिले के किसानों पर हो रहे अत्याचारों एवं शोषण के विरुद्ध संचालित एक आन्दोलन था.

खेड़ा सत्याग्रह

चम्पारण के बाद महात्मा गांधीजी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ गुजरात के खेड़ा में सबसे बड़ा किसान आन्दोलन (खेड़ा सत्याग्रह) की शुरुआत की थी. चम्पारण के बाद गांधीजी का वर्ष 1918 में खेड़ा सत्याग्रह किसानो की हालत सुधारने का एक अथक प्रयास था.

अहमदाबाद मिल हड़ताल

15 मार्च 1918 को अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन गुजरात के अहमदाबाद में शुरू हुआ था, इस अन्दोनल की शुरुआत में नेतृत्व अनसूया बेन साराभाई द्वारा किया गया था बाद इन्होने गांधीजी से इस आन्दोलन में जुड़ने का आग्रह किया और गाँधी जी इस आन्दोलन में जुड़ें. इस आन्दोलन को शुरू करने का कारण मालिकों एवं मज़दूरों के बीच प्लेग बोनस विवाद था.

रॉलेट एक्ट सत्याग्रह

8 मार्च, 1919 ई. को देश में रौलट एक्ट लागू किया था. इतिहास में इस कानून को काला कानून कहा जाता है. इस अधिनियम को सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता वाली रोलेट समिति द्वारा पारित किया गया था। इस एक्ट का मकसद भारत के क्रान्तिकारियों के प्रभाव को समाप्त करना आदि.

खिलाफ़त आन्दोलन

बम्बई में मार्च 1919 में लखनऊ से खिलाफत आन्दोलन शुरू हुआ था। यह आन्दोलन एक पैन इस्लामिक, राजनीतिक विरोध अभियान था, इस आन्दोलन के नेता शौकत अली, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, हकीम अजमल खान, अबुल कलाम आजाद एवं प्रमुख नेता महात्मा गांधीजी थे. यह आन्दोलन 1919 से 1922 तक चलाया गया था जिसका उद्देश थे था अंग्रेजों पर दबाब डालना ताकि तुर्की के खलीफा पद की स्थापना हो सके.

असहयोग आंदोलन

महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन का आरम्भ 1 अगस्त, 1920 में किया. इस आन्दोलन का आगाज ब्रिटिश हुक्मरानों की क्रूरता का विरोध करने के लिए क्या गया था.

बारदोली सत्याग्रह

बारदोली सत्याग्रह एक किसान आन्दोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया था. इस आन्दोलन के करने का कारण था की सरकार द्वारा किसानों के लगान पर 22 प्रतिशत वृद्धि करना जिसका विरोध वल्लभ भाई पटेल ने किया. इस मामले पर एक जांच की गई जिसके बाद इस 22 प्रतिशत लगान को गलत ठहराया और इसे घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया गया. बारदोली सत्याग्रह के सफल होने के बाद महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की.

नमक सत्याग्रह

नमक सत्याग्रह या दांडी मार्च (यात्रा) महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया एक आन्दोलन था, वर्ष 1930 में ब्रिटिश सरकार ने जब नमक पर भी कर लगाया तो गांधीजी ने इसके खिलाफ एक ऐतिहासिक आन्दोलन छेड़ा जिसमे गाँधी जी समेत कई लोगों ने अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल यात्रा की. यह आन्दोलन 12 मार्च 1930 – 6 अप्रैल 1930 तक चला जोकि सफल रहा.

सविनय अवज्ञा आंदोलन

वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह के समय सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी थी. नमक कानून ख़त्म करने के बाद देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ.

भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गांधी जी ने 8 अगस्त, 1942 को ब्रिटिश शासन को खत्म करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसके सत्र में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरुआत किया इस दौरान ‘भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ भारतीय लोगों का नारा बन गया। ट्रेड यूनियनवादी यूसुफ मेहरली द्वारा ‘भारत छोड़ो’ का नारा लगया गया था वे एक समाजवादी थे.

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